‘परिंदे’ मनाएंगे स्लम, अनाथ आश्रम तथा रेड लाइट एरिया के बच्चों के साथ दिवाली

Diwali celebration with orphan children ashram and red light area
 ‘परिंदे’ मनाएंगे स्लम, अनाथ आश्रम तथा रेड लाइट एरिया के बच्चों के साथ दिवाली
 ‘परिंदे’ मनाएंगे स्लम, अनाथ आश्रम तथा रेड लाइट एरिया के बच्चों के साथ दिवाली

डिजिटल डेस्क, नागपुर। अगर हमारे घर में रखी हुई  रद्दी से किसी के चेहरे पर मुस्कान आ जाए, तो इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। वैसे भी रद्दी बेचकर 50 या 100 रुपए ही मिलते हैंं। शहर की संस्था ‘परिंदे यूथ फाउंडेशन’ ग्रप के युवा इन्हीं रद्दी को 15 से 31 अक्टूबर तक शहर के विभिन्न स्कूल, कॉलेज और घरों से एकत्रित कर रहे हैं। ग्रुप के मेम्बर फोन आने पर रद्दी उस स्थान पर जाकर इकट्ठा करते हैं। अभी तक ग्रुप द्वारा 5000 किग्रा से भी ज्यादा रद्दी जमा की जा चुकी है। रद्दी से बच्चों को पेपर बैग बनाना सिखाया जाएगा और बाकी की रद्दी को बेचकर उनके लिए कल्चरल इंवेट ऑर्गनाइज किया गया है।

करेंगे कल्चरल इवेंट
इस कार्यक्रम में शहर के 16 स्कूल और 5 कॉलेजों ने अपना योगदान दिया है। साथ ही रहवासी इलाकों से भी रद्दी एकत्र की गई है। स्लम, अनाथ आश्रम तथा रेड लाइट एरिया के बच्चों की दिवाली खास बनाने के लिए कल्चरल इंवेट का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें बच्चों के लिए डांस, म्यूजिक, रंगोली मेकिंग, ड्राइंट, दीया पेंटिंग आदि कार्यक्रम होंगे। आज के युवा में कुछ करने का जज्बा है, तो समाजसेवा करने की भावना भी है। कुछ अकेले ही इस राह पर निकल पड़ते हैं, तो कुछ ग्रुप बना कर समाज और देश को अपना योगदान दे रहे हैं। परिंदे संस्था में 20-30 वर्ष तक के युवा हैं, जो सिर्फ समाज सेवा के उद्देश्य से कार्य करते हैं। ग्रुप में सागर ठक्कर, निरंजन जाधव, रेशमा दीवानी, हर्षा सावलानी आदि शामिल हैं।

शॉपिंग भी की जा रही
ग्रुप द्वारा गरीब बच्चों के लिए बड़े इंवेट का आयोजन 4 नवंबर को किया जाएगा। इसके लिए हमारे फाउंडेशन के मेम्बर्स उन बच्चों को जाकर ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। कुछ बच्चों को डांस सिखाया जा रहा है, तो किसी को गाना, और किसी को रंगोली का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कुछ बच्चे ड्राॅइंग स्पर्धा में भाग लेने के इच्छुक हैं। हमने सोचा कि क्यों न शहर के स्कूलों और घरों से रद्दी एकत्र कर उन्हें बेचकर इन बच्चों के लिए प्रोग्राम ऑर्गनाइज किया जाए। इससे बच्चों के लिए दिवाली की शॉपिंग भी की जा रही है, ताकि उनकी दिवाली भी स्पेशल हो सके। 
- अवि अग्रवाल, फाउंडर, परिंदे यूथ फाउंडेशन

रद्दी से आएगी मुस्कान
आमतौर पर रद्दी बेचकर 100-200 रुपए से ज्यादा नहीं मिलते हैं। वैसे तो हम इन बच्चों के लिए कुछ नहीं कर पाते हैं, इसलिए हमने इनके लिए कुछ हटकर सोचा। अभी तक हमने 5000 किलो से ज्यादा रद्दी एकत्र कर ली है और हम चाहते हैं, ज्यादा से ज्यादा रद्दी हमें मिले, ताकि हम इनके लिए और भी कुछ कर सकें। हमारे फाउंडेशन का हर मेम्बर इस कार्यक्रम में लगा हुआ है। हम ज्यादा से ज्यादा फंड इकट्ठा कर बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाना चाहते हैं।
रेशमा नोटानी, मेम्बर

बच्चों को कर रहे ट्रेंड
हम बस्ती-बस्ती जाकर बच्चों को ट्रेंड कर रहे हैं, ताकि ये अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस दे  सकें। अभी तक 16 स्कूल और 5 कॉलेजों ने हमें रद्दी दी है। हमारे पास रद्दी के लिए जैसे ही कॉल आता है, हम उसे जाकर ले लेते हैं। ग्रुप का हर मेम्बर इस कार्य में लगा हुआ है। अपनों के लिए तो सभी करते हैं, पर जिन बच्चों को आवश्यकता है, उनके लिए करने की बात ही बात ही अलग है। 
मयूर नागरानी, मेम्बर
 

Created On :   25 Oct 2018 9:57 AM GMT

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