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बड़ी लापरवाही पर ही डाक्टर को दोषी माना जाएगा- कोर्ट

डिजिटल डेस्क, मुंबई। डॉक्टर को दोषी ठहराने के लिए लापरवाही का दर्जा काफी बड़ा होना चाहिए।बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक डॉक्टर व दो स्वास्थ्यकर्मियों के रिहाई के आदेश को कायम रखते हुए यह बात कही है। साल 2001 में एक 14 साल की लड़की की मौत के बाद कोल्हापुर पुलिस ने एक सर्जन डॉक्टर सहित दो एनेस्थेलॉजिस्ट के खिलाफ सदोष मानव वध का मामला दर्ज किया था। लड़की के अभिभावकों ने पुलिस के सामने अपनी शिकायत में दावा किया था कि गले में तकलीफ को लेकर सर्जरी की गई थी लेकिन सर्जरी के एक घंटे के बाद उनकी बेटी की मौत हो गई। इसके लिए लड़की के माता पिता ने इन तीनों आरोपियों को जिम्मेदार ठहराया था। निचली अदालत ने इन तीनों आरोपियों को इस मामले से बरी कर दिया था। निचली अदालत ने अपने फैसले कहा था कि उसे इस मामले में आरोपियों की बड़ी लापरवाही नजर नहीं आ रही है। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी।
न्यायमूर्ति के श्रीराम के सामने इस अपील पर सुनवाई हुई। मामले से जुड़े सबूतों व तथ्यों को देखने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि निःसंदेह इस मामले में अभिभावकों ने अपनी बेटी को खोया है। जिसकी उम्र महज 14 साल थी। लेकिन डॉक्टर को दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष को यह दर्शाना होगा कि डॉक्टर की ओर से आला दर्जे की लापरवाही बरती गई है। सिर्फ ठीक से देखभाल न करना अथवा ध्यान न देना सिविल लाइबिलिटी के दायरे में आते हैं। यह आपराधिक दायरे में नहीं आता। न्यायमूर्ति ने कहा कि उन्हें इस मामले में निचली अदालत का निष्कर्ष सही नजर आ रहा है। डॉक्टर को दोषी ठहराने के लिए लापरवाही का दर्जा काफी ऊंचा होना चाहिए। इस तरह से न्यायमूर्ति ने आरोपियों की रिहाई के आदेश को कायम रखा।
Created On :   20 March 2021 7:01 PM IST