संकट में डॉक्टरों का नहीं मिल रहा सहयोग, प्रशासन ने जताई नाराजगी

Doctors are not getting support in crisis, administration expressed resentment
संकट में डॉक्टरों का नहीं मिल रहा सहयोग, प्रशासन ने जताई नाराजगी
संकट में डॉक्टरों का नहीं मिल रहा सहयोग, प्रशासन ने जताई नाराजगी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में कोरोना पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। बीती सुनवाई में इंडियन मेडिकल काउंसिल (आईएमए) ने मनपा को ऐसे चिकित्सकों की सूची देने को हामी भरी थी, जो कोरोनाकाल में अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं।  सुनवाई के दौरान मनपा अधिवक्ता सुधीर पुराणिक ने आईएमए पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि आईएमए ने 3 हजार 800 चिकित्सकों की फोन डायरेक्ट्री थमा दी है। यह नहीं बताया कि कौन-कौन से चिकित्सक कोरोना में सेवाएं देने को तैयार हैं। इसके उलट अगर आईएमए केवल 100 ऐसे चिकित्सकों की सूची दें, जो वास्तव में सेवाएं देने को तैयार हैं, तो कोई मदद हो सकती है। दूसरी मुख्य समस्या यह है कि चिकित्सक केवल अपने समय के अनुसार फोन पर मरीजों को परामर्श देने को तैयार हैं, जबकि उनकी प्रत्यक्ष उपस्थिति की सख्त जरूरत है। ऐसे में चिकित्सकों की ओर से मनपा को जरूरी सहयोग नहीं मिल रहा है। हाईकोर्ट ने मनपा आयुक्त को चिकित्सकों की सेवां लेने के लिए ठोस योजना बनाने को कहा है, जिसमें किस चिकित्सक को किस अस्पताल में ड्यूटी दी जा सकती है, उनका समय क्या होना चाहिए व अन्य मुद्दों पर विचार करने को कहा गया है।

वर्ना, वारंट...
जिला प्रशासन की ओर से सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि प्रशासन ने पैरा मेडिकल स्टाफ की सेवाएं लेने के लिए शहर के शहर के 20 अस्पतालों व नर्सिंग कॉलेजों को पत्र भेजा, लेकिन उनकी ओर से अब तक कोई सहयोग नहीं मिला है। हाईकोर्ट ने इन संस्थानों को चेतावनी दी है कि वे जिला प्रशासन को पूरा सहयोग करेंे। वरना अगली सुनवाई में कोर्ट संस्थानों के अधिकारियों के खिलाफ जमानती वारंट जारी करेगा। आगे अवमानना कार्रवाई भी हो सकती है।

अगली सुनवाई पर मुख्य सचिव हाजिर हों
मनपा आयुक्त ने कोर्ट में कोरोना इलाज की सुविधाओं की जानकारी दी। बताया कि मौजूदा संसाधनों में मनपा लगातार ऑक्सिजिनेटेड बेड बढ़ाने का प्रयास कर रही है। पिछले सप्ताह नागपुर में 1000 बेड का जंबो अस्पताल मानकापुर में बनाने का सुधारित प्रस्ताव भेजा जा चुका है। अब गेंद सरकार के पाले में है। इस पर कोर्ट ने राज्य मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में हाजिर होने के आदेश दिए हैं, ताकि वे मामले में सरकारी की भूमिका स्पष्ट कर सकें। मामले में एड.श्रीरंग भंडारकर न्यायालयीन मित्र हैं।

रेलवे के अस्पतालों की सेवाएं लें
इस मामले में अंजू छाबरानी व अन्य समाजसेवकों के समूह द्वारा मध्यस्थी अर्जी दायर की गई है। मंगलवार को उनके अधिवक्ता एम.अनिल कुमार ने कोर्ट को सुझाव दिया कि मौजूदा स्थिति में  रेलवे अस्पतालों की सेवाएं ली जा सकती हैं। जहां बेड व अन्य जरूरी सुविधाएं हैं। इस पर कोर्ट ने मनपा आयुक्त को 17 सितंबर को अपनी भूमिका स्पष्ट करने के आदेश दिए हैं। 
 

Created On :   16 Sep 2020 4:38 AM GMT

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