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डॉक्टरों के ‘कट प्रैक्टिस’ को माना जाएगा रिश्वतखोरी, सरकार लगाएगी रोक

डिजिटल डेस्क, मुंबई। डॉक्टरी के क्षेत्र में कट प्रैक्टिस को अब रिश्वतखोरी माना जाएगा। इसको लेकर राज्य सरकार ने कानून बनाने का फैसला लिया है। कानून बनाने के लिए राज्य सरकार की तरफ से समिति बनाई गई है। कानून बनने के बाद डाॅक्टरों द्वारा कमीशन हासिल करना मुश्किल होगा। ‘कट प्रैक्टिस’ को लेकर लोगों में बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सरकार ने समिति गठित कर दो महीने के भीतर मसौदा तैयार करने को कहा है। समिति मसौदा तैयार करने के लिए कानूनी विशेषज्ञों की मदद ले सकती है।
राज्य के रिटायर्ड पुलिस महानिदेशक प्रवीण दीक्षित इस समिति के अध्यक्ष होंगे। समिति में KEM अस्पताल के डीन डाॅ. अविनाश तुपे, प्रिंस अली खान अस्पताल के निदेशक डाॅ. संजय ओक, महाराष्ट्र चिकित्सा परिषद के अध्यक्ष डाॅ. अभय चौधरी, स्नेहल अस्पताल के डाॅ. अमित कारखानीस और डाॅ. हिम्मतराव बावीस्कर शामिल हैं।
क्या है ‘कट प्रैक्टिस’
एक डाॅक्टर द्व्रारा मरीज को इलाज के लिए दूसरे डाॅक्टर के पास भेजने की एवज में कमीशन लेने, कमीशन के लिए जरूरी न होने पर भी पैथोलाॅजी लैब से जांच कराने के लिए लिखने जैसी गतिविधियों को चिकित्सा क्षेत्र में कट प्रैक्टिस कहा जाता है। दवा कंपनियों से मिलने वाले आर्थिक लाभ व मंहगे गिफ्ट के बदले एक निश्चित कंपनी की दवा लिखना भी कट प्रैक्टिस के दायरे में आता है।
Created On :   1 Aug 2017 6:49 PM IST