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घरेलू विवाद क्रूरता में शुमार नहीं : हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क,नागपुर। उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने पारिवारिक विवाद को क्रूरता का अाधार मानने से इनकार करते हुए तलाक की याचिका को खारिज कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अतुल चांदूरकर और जी.ए. सानप की खंडपीठ ने देते हुए पति के सुलह आवेदन को मान्य किया है। इस मामले में पत्नी ने पारिवारिक न्यायालय के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पत्नी ने पति और ससुरालजनों पर पारिवारिक विवाद में प्रताड़ना देने के साथ क्रूरता करने का आरोप लगाते हुए तलाक मांगा था। सुनवाई के दौरान पति की ओर से विवाह को बचाने की खातिर हरसंभव प्रयास करने को न्यायालय ने मान्य किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया।
क्या है मामला : दंपति ने आपसी सहमति से 10 जुलाई 2000 को अंतरजातीय विवाह किया। आपसी विवाद के चलते पत्नी ने साल 2002 में तलाक की याचिका दायर की थी। परिजनों और मित्रों की सलाह पर दोनों सुलह होने के बाद साथ रहने लगे थे। पांच साल बाद गर्भपात होने पर पत्नी ने पति और परिजनों पर मानसिक प्रताड़ना देने का आरोप लगाया। दूसरी मर्तबा गर्भवती होने पर पत्नी मायके चली गई, जहां 28 जून 2008 को पुत्री को जन्म देने के बाद सुसराल नहीं लौटी। इतना ही नहीं, साल 2011 में उसने दोबारा तलाक के लिए याचिका दायर की। इस याचिका पर पारिवारिक न्यायालय ने पति के पक्ष में आदेश दिया था। इस आदेश को पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती देकर तलाक की गुहार लगाई थी।
Created On :   15 Jan 2022 5:47 PM IST