डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर को लेकर बढ़ी सरकार की मुश्किलें, दस्तावेज हुए खाक

डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर को लेकर बढ़ी सरकार की मुश्किलें, दस्तावेज हुए खाक
डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर को लेकर बढ़ी सरकार की मुश्किलें, दस्तावेज हुए खाक

डिजिटल डेस्क,नागपुर। रेशमबाग स्थित डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर फिर पेंच में फंस गया है।   नागपुर हाईकोर्ट में मामला विचाराधीन है। इस दौरान सरकार ने हाईकोर्ट को जानकारी दी कि स्मृति मंदिर को 1997 में पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया था, किन्तु मंत्रालय में लगी आग में इससे संबंधित दस्तावेज जलकर खाक हो गए। दूसरी तरफ, एक आरटीआई में विभागीय आयुक्त कार्यालय से खुलासा हुआ कि स्मृति मंदिर परिसर को ऐसा कोई दर्जा नहीं मिला है। आरटीआई के इस खुलासे से सरकार की मुश्किलें बढ़ सकतीं हैं। 

आरटीआई में मांगी जानकारी
डॉ. हेडगेवार स्मृति मंदिर परिसर को पर्यटन स्थल का दर्जा देने के बारे में सरकार द्वारा किए दावे पर भाजपा शहर उपाध्यक्ष भूषण दडवे ने आरटीआई में जानकारी मांगी। इससे पहले दड़वे ने 18 सितंबर 2015 को भी आरटीआई में जानकारी मांगी थी। पूछा था  कि डॉ. हेडगेवार स्मारक समिति व स्मृति मंदिर परिसर रेशमबाग को पर्यटन या तीर्थक्षेत्र के अ, ब, क वर्ग का दर्जा देने के लिए किसने लिखित मांग की अथवा प्रस्ताव दिया है? 

पर्यटन विभाग की अनदेखी
13 अक्टूबर 2015 को जिलाधिकारी कार्यालय और 28 सितंबर 2015 को विभागीय आयुक्त कार्यालय ने जवाब में कहा था कि आज तक इस संबंध में कोई लिखित मांग या प्रस्ताव नहीं दिया गया है।  इसके बाद भूषण दडवे ने केंद्रीय मंत्री नितीन गडकरी, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले को निवेदन देकर हेडगेवार भवन को पर्यटन स्थल का दर्जा देने की मांग की। किन्तु इस निवेदन को मुख्यमंत्री कार्यालय या पर्यटन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया। 31 जनवरी 2018 को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को मौखिक बताया कि 1997 में हेडगेवार भवन को पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया था, लेकिन मंत्रालय की आग में संबंधित दस्तावेज जल गए। सरकार के इस दावे के बाद भाजपा उपाध्यक्ष दडवे ने 9 फरवरी 2018 को विभागीय आयुक्त कार्यालय के नियोजन शाखा से फिर आरटीआई में जवाब मांगा है। 

सरकार कर रही गुमराह 
सरकार द्वारा हाईकोर्ट में रेशमबाग स्मृति परिसर को पर्यटन स्थल का दर्जा देने बाबत दी गई जानकारी झूठी और गुमराह करने वाली है। अगर इसे पर्यटन स्थल का दर्जा मिलता तो एक कॉपी नियमानुसार विभागीय आयुक्त व जिलाधिकारी कार्यालय नियोजन विभाग में रहती। आरटीआई में मांगी गई जानकारी का जवाब देते, किन्तु इस तरह का कोई प्रस्ताव या ठराव 2015 तक नहीं आया था। 2018 तक भी इस तरह का कोई दर्जा परिसर को नहीं मिला है। सरकार हाईकोर्ट को गुमराह कर रही है। सबूत के तौर पर मैं यह जानकारी हाईकोर्ट में पेश करूंगा। 
-भूषण दडवे, उपाध्यक्ष, शहर भाजपा 

Created On :   17 Feb 2018 2:51 PM IST

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