11 माह के मासूम की चलती ट्रेन में बंद होने लगी थीं सांसें, देवदूत बनकर पहुंचे चिकित्सक

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11 माह के मासूम की चलती ट्रेन में बंद होने लगी थीं सांसें, देवदूत बनकर पहुंचे चिकित्सक
11 माह के मासूम की चलती ट्रेन में बंद होने लगी थीं सांसें, देवदूत बनकर पहुंचे चिकित्सक

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। डॉक्टर्स को भगवान का दर्जा यूं ही नहीं जाता, गुरुवार की दोपहर चलती ट्रेन में सांस रुक जाने से बेहोश हो गए 11 माह के मासूम की जान बचाने के लिए रेलवे के चिकित्सक देवदूत बनकर पहुंचे और उन्होंने साबित कर दिया कि वो जीवन के रक्षक यूं ही नहीं कहलाते हैं। रेलवे के डॉक्टर्स के लिए यात्रियों ने तालियां बजाकर उनका  आभार व्यक्त किया। मामला पुणे दानापुर एक्सप्रेस का है। जिसके कोच बी-4 की बर्थ 34 से 36 पर शिशु तिवारी अपनी पत्नी अर्चना, पुत्र अंश, पिता शिवानंंद तिवारी और मां उमरावती के साथ यात्रा कर रहे थे।
हंस खेल रहा था बच्चा
जबलपुर से ट्रेन चलने पर मासूम अंश हंस-खिलखिला रहा था लेकिन सिहोरा के पास पहुंचते ही अंश की तबियत बिगडने लगी, उसे सांस लेने में तकलीफ हुई और वो बेहोश हो गया। बच्चे के बेहोश होते ही परिजनों के होश उड़ गए और मां अर्चना का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। इसी बीच किसी यात्री ने कोच कंडक्टर जितेन्द्र सिंह को इसकी सूचना दी, उन्होंने तुरंत वरिष्ठ मंडल प्रबंधक आनंद कुमार को फोन पर जानकारी दी।
कटनी में अटेंड किया डॉक्टर ने
कुमार ने तत्काल डॉक्टर्स को कटनी पहुंचने के लिए कहा। जैसे ही ट्रेन प्लेटफॉर्म पर पहुंची रेलवे अस्पताल की चिकित्सक डॉ. पूजा ने अपनी मेडिकल टीम के साथ अंश का चैकअप कर आवश्यक दवाएं दी, कुछ ही देर के बाद जब मासूम अंश ने आंखें खोलीं तो परिजनों की आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। अंश फिर से मुस्कुराने-खेलने लगा, तब जाकर परिजनों सहित यात्रियों ने भी राहत की सांस ली। रेलवे के डॉक्टर्स के लिए यात्रियों ने तालियां बजाकर उनका  आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देश की लाइफलाइन कहलाने वाले रेलवे के चिकित्सकों ने 11 माह के बालक की लाइफ बचाकर अपनी बेहतर चिकित्सीय सेवाओं का अनुकरणीय  उदाहरण पेश किया है।

 

Created On :   1 March 2019 7:46 AM GMT

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