बूढे मां-बाप को हाईकोर्ट में घसीटा

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर । चंद्रपुर निवासी एक 52 वर्षीय बेटे ने अपने 83 वर्षीय पिता और 71 वर्षीय सौतेली मां को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में घसीटा है। माता-पिता का दावा है कि उनके पास किसी प्रकार की आमदनी का स्रोत नहीं है, जीवन व्यापन के लिए वे पूरी तरह बेटे पर निर्भर हैं। बेटा पैसे देने के लिए राजी नहीं है।
3 माह में करें पुनर्विचार
माता-पिता ने सबसे पहले वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनी प्राधिकरण की शरण ली। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम के तहत प्राधिकरण ने बेटे को आदेश दिया था कि वह अपने माता-पिता को हर माह 10 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था, लेकिन बेटे ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। बेटे का दावा है कि प्राधिकरण ने बगैर उसका पक्ष सुने या मामले के सबूत देखे यह निर्णय दिया है। मामले में सभी पक्षों को सुनकर हाई कोर्ट ने प्राधिकरण को 3 माह में अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आदेश दिया है। तब तक मां-बाप को 10 हजार रुपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
वकील के लिए पैसे नहीं
इस मामले में जब हाई कोर्ट में सुनवाई हो रही थी, तब मां-बाप ने हाई कोर्ट के समक्ष अपनी गुहार लगाई। उन्होंने कोर्ट को बताया कि उनके पास हाई कोर्ट में अपना पक्ष रखने के लिए वकील नियुक्त करने तक के पैसे नहीं हैं। मानवीय आधार पर हाई कोर्ट ने विधि सेवा प्राधिकरण के जरिए मां-बाप को एक वकील उपलब्ध कराया।
वेतन से कटौती का आदेश
कई बार अदालती प्रकरण लंबा खिंच जाता है। इस प्रकरण में हो रही मुकदमेबाजी में कहीं बूढ़े मां-बाप पर भुखमरी की नौबत न आ जाए, इसलिए उन्हें अंतरिम आदेश के तहत गुजारा भत्ता दिया गया। बीती सुनवाई में हाई कोर्ट ने बेटे के नियोक्ता को आदेश दिया था कि उसके वेतन से 10 हजार रुपए कटौती की जाए।
Created On :   11 Feb 2023 3:25 PM IST