पानी के लिए प्रशासन ने खर्चे 100 करोड़, फिर भी बूंद-बूंद को तरस रहे 300 गांव

Drinking water crisis is deep in more than 300 villages in Gondia
पानी के लिए प्रशासन ने खर्चे 100 करोड़, फिर भी बूंद-बूंद को तरस रहे 300 गांव
पानी के लिए प्रशासन ने खर्चे 100 करोड़, फिर भी बूंद-बूंद को तरस रहे 300 गांव

डिजिटल डेस्क, गोंदिया। पानी की समस्या दूर करने सौ करोड़ रुपए प्रशासन ने खर्च कर डाले फिर भी क्षेत्र से जलसंकट की स्थिति दूर नहीं हो सकी है। शासन ने जलयुक्त शिवार योजना क्रियान्वित कर गोंदिया जिले में विगत 4 वर्षों में 239 गांवों में लगभग 100 करोड़ के जल संधारण के काम किए हैं। बावजूद इसके इन दिनों लगभग 300  से अधिक गांवों में पेयजल संकट गहराया हुआ है। जिससे जल संकट निराकरण का शासन का दावा खोखला साबित हो रहा है।

बता दें कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा वर्ष 2015-16 से संपूर्ण राज्य में जलयुक्त शिवार अभियान क्रियान्वित की गई है। जिसके तहत संपूर्ण राज्य में जल संधारण के करोड़ों के काम किए गए हैं एवं किए जा रहे हैं। एक ओर जल संकट दूर होने का दावा शासन कर रहा है। वहीं दूसरी ओर भीषण जल संकट स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। जिसके चलते यह योजना भी सिर्फ दिखावा बनकर रह गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष2015-16में गोंदिया जिले के 94  गांव, वर्ष 2016-17 में 77 गांव, वर्ष 2017-18 में 63 गांव एवं अब वर्ष 2018-19 के लिए 65 गांवों का चयन किया गया है। वर्ष 2015-16 से लेकर 2017-18 तक गोंदिया जिले के चयनित गांवों में लगभग 100  करोड़ की लागत से हजारों काम किए गए हैं। जबकि जल संधारण उस मात्रा में दिखाई नहीं दे रहा है।

कृषि विभाग ने जानकारी दी है कि जलयुक्त शिवार योजना से एक वर्ष में लगभग 40  हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ हो रहा है। वहीं अतिरिक्त जल संग्रहण भी हुआ है। ऐसे में हैरान कर देने वाली बात यह है कि यह योजना शुरू होने के पूर्व ग्रीष्मकाल में पेयजल संकट होने वाले गांवों की संख्या काफी कम होती थी। जबकि हजारों जल संधारण के कार्य होने के बावजूद इस वर्ष सैकड़ों गांवों में पेयजल का संकट निर्माण हुआ है। नागरिकों का कहना है कि जब करोड़ों रुपए की लागत से जल संधारण के काम हुए हैं  तो, निश्चित ही जिले का जलस्तर अच्छा होना था। जबकि स्थिति बिल्कुल विपरीत नजर आ रही है। इस वर्ष नदी, नाले, तालाब फरवरी माह से ही सूखे पड़े हैं एवं पेयजल स्रोतों की स्थिति भी काफी दयनीय हो गई है। स्थिति को देखते हुए लग रहा है कि जिस तरह से जल संकट से निपटने का दावा शासन द्वारा किया गया था, उस तरह जल संकट का निवारण नहीं हुआ है। जिसके चलते यह अभियान भी दिखावा बनकर रह गया है। कई वर्षों के इतिहास में गोंदिया जिले का जलस्तर इस वर्ष डेढ़ मीटर से अधिक कम हुआ है। जो भीषण जल संकट को बयां कर रहा है।

बढ़ गया सिंचाई क्षेत्र 
जलयुक्त शिवार योजना के माध्यम से जल संधारण के कार्य होने से सिंचाई क्षेत्र में बढ़ोतरी हुई है। वहीं इस वर्ष अल्प बारिश होने के कारण जिले में पेयजल संकट निर्माण हुआ है। प्रतिवर्ष लगभग 40 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में जलयुक्त शिवार के माध्यम से किए गए कामों के कारण सिंचाई का लाभ हो रहा है। 
(अनिल इंगले,   जिला कृषि अधीक्षक, गोंदिया)

मानसून का इंतजार
गत वर्ष जिले में 50  प्रतिशत से भी कम बारिश होने के कारण गोंदिया जिले में विगत 3-4 माह से जल संकट का सामना जिलावासियों को करना पड़ रहा है। तापमान भी लगातार 40  डिग्री से अधिक होने के कारण नागरिकों को परेशानियां झेलनी पड़ रही है। मौसम विभाग ने इस वर्ष समय पर मानसून का आगमन होने की संभावना जताई है। पेयजल संकट से एवं बढ़ती गर्मी से राहत मिलने के लिए अब जिलावासियों को मानसून का इंतजार है।

Created On :   17 May 2018 2:29 PM IST

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