एमपी की इन जगहों पर बूंद-बूंद की भारी किल्लत, पहाड़ियां पार कर ला रहे पानी

Drinking water problem in chhindwara district of MP
एमपी की इन जगहों पर बूंद-बूंद की भारी किल्लत, पहाड़ियां पार कर ला रहे पानी
एमपी की इन जगहों पर बूंद-बूंद की भारी किल्लत, पहाड़ियां पार कर ला रहे पानी

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा। पातालकोट में सीएम के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एक दिन में लाखों खर्च करने की तैयारी चल रही है। सब कुछ तय हो चुका है, जिन भारिया आदिवासियों को साधने के लिए मुख्यमंत्री पातालकोट आ रहे हैं। उन आदिवासियों के हालात बद से बदतर होते जा रहे है। मार्च में पातालकोट सहित तामिया के दर्जन भर गांवों में सूखे ने आदिवासियों का जीवन दूभर कर दिया है। मार्च में ही ये हालात है कि पीने के पानी के लिए आदिवासियों को 2-2 किलोमीटर का सफर करके पानी लाना पड़ रहा है। नदी-नाले पूरी तरह से सूख गए हैं। बोर ने पानी उगलना बंद कर दिया। जो कुएं पीएचई और मनरेगा के तहत गांव में बनाए गए हैं। वह शोभा की सुपारी बनकर रह गए हैं।   पातालकोट में रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि पहाडिय़ों का लंबा सफर तय करके पानी लाने को मजबूर होना पड़ रहा है। झरनों से जो थोड़ा बहुत रिस रहा है। उससे जैसे-तैसे जिंदगी कट रही है।
फसलें सूख चुकी, पेट पालने छोडऩा पड़ रहा घर
इस बार हुई अल्पवर्षा से तामिया सहित पातालकोट में रहने वाले किसानों के हालात बिगड़ गए हैं। किसानों ने बताया कि सरसों की खेती से जैसे-तैसे साल भर का गुजारा होता था। लेकिन इस बार बारिश नहीं हो पाने से खेतों में ही फसल सूख चुकी है। अब पेट पालने के लिए दूसरे गांवों में जाकर गुजारा करना पड़ रहा है।
मार्च में ये हालात, मई में क्या होगा
गर्मियों की चिंता ग्रामीणों को अभी से सताने लगी है। मार्च में पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि मई तक जो थोड़ा बहुत पानी पीने को मिल रहा है। वह भी बंद हो जाएगा। ऐेसे में पातालकोट में रहना किसी चुनौती से कम नहीं होगा।
इसलिए बिगड़े हालात
पानी सहेजने नहीं किए प्रयास पातालकोट वासियों का जीवन स्तर सुधारने के लिए अब तक करोड़ों खर्च किए जा चुके हैं लेकिन इन करोड़ों के बीच आज तक पातालकोट में एक ऐसा जलस्त्रोत नहीं बनाया गया। जिससे यहां पानी सहेजा जा सके।
जहां मर्जी, वहां कर दिए बोर
ग्रामीणों ने बताया कि अधिकारियों ने अपनी मर्जी से बोर किए। जिसके चलते छह-छह महीनों में ही इन हैंडपंपों से पानी निकलना बंद हो गया। एक-दो ही कुएं है जहां पानी बचा है। वह भी काफी कम।
इनका कहना है...
- पंचायतों से हमने पेयजल व्यवस्था की डिमांड मंगवा ली है। इसे पीएचई के माध्यम से पहुंचाया भी जा चुका है। जलसंकट ज्यादा न हो इसके लिए व्यवस्था बनाई जा रही है।
शैलेंद्र सिंह सीईओ, जनपद पंचायत तामिया

 

Created On :   14 March 2018 1:34 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story