न्यायदान में देरी के चलते पीडि़ता ने सीधे हाईकोर्ट से की न्यायदंडाधिकारी की शिकायत

Due to delay in justice, the victim complained to the High Court directly
न्यायदान में देरी के चलते पीडि़ता ने सीधे हाईकोर्ट से की न्यायदंडाधिकारी की शिकायत
न्यायदान में देरी के चलते पीडि़ता ने सीधे हाईकोर्ट से की न्यायदंडाधिकारी की शिकायत

डिजिटल डेस्क, नागपुर। घरेलू हिंसा से पीड़ित एक महिला ने पुलिस और न्यायदंडाधिकारी के रवैये के खिलाफ सीधे हाईकोर्ट में शिकायत की है। पीड़िता ने न्यायिक प्रक्रियाओं की जटिलता और प्रशासनिक अमले की लापरवाही पर निराशा जताते हुए यहां तक कहा कि एक बार के लिए उसके मन में संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सरकारी स्तर पर शिकायत करने का विचार आया था।  लेकिन वह इन सब में पड़ना नहीं चाहती। उसने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में यहां तक कहा कि लंबे समय तक संघर्ष करने के बावजूद उसका महाराष्ट्र की न्यायपालिका पर विश्वास कायम है, केवल इसीलिए वह ऊपरी अदालत आई है। उसके केस को बारीकी से सुनकर न्या.सुनील शुक्रे व न्या.अविनाश घारोटे की खंडपीठ ने जिला प्रधान व सत्र न्यायाधीश को इसमें मामले में दखल देने के आदेश दिए हैं।

इस मामले में हाईकोर्ट ने तय किया कि इसमें कड़ा आदेश जारी करने की जगह स्थानीय स्तर पर हल करने का प्रयास करना सही होगा। ऐसे में हाईकोर्ट ने सत्र न्यायालय को इस मामले में निरीक्षण करने को कहा है। साथ ही न्यायदंडाधिकारियों को ऐसे मामलों में जल्द से जल्द न्यायदान के लिए जरूरी मार्गदर्शन करने के भी आदेश दिए गए हैं। इस निरीक्षण के साथ हाईकोर्ट ने संबंधित न्यायदंडाधिकारी को अर्जदार पत्नी द्वारा दायर अर्जियों पर 60 दिन के भीतर फैसला करने के आदेश दिए हैं। मामले में पत्नी की ओर से एड.सोनाली सावरे गाढवे ने पक्ष रखा। 

पीड़िता ने यह कहा: दरअसल, यह घरेलू हिंसा का मामला है। इस प्रकरण में जेएमएफसी कोर्ट ने महिला के पति का काफी पहले आदेश दिया था कि वह पत्नी का सारा सामान लौटा दे, लेकिन पति ने इस आदेश को नहीं माना। इस मामले में प्रोबेशन अधिकारी ने भी कोई संज्ञान नहीं लिया। उलटे पति ने घर को ताला ठांेक दिया और निकल गया। इसके बाद 15 जनवरी 2020 को महिला ने पति के खिलाफ वारंट निकालने के लिए जेएमएफसी कोर्ट में अर्जी की, लेकिन इस पर जेएमएफसी कोर्ट ने संज्ञान नहीं लिया। इस मामले में वाड़ी पुलिस थाने की शरण लेने के बाद भी कोई हल नहीं निकला। पीड़िता ने 2 नवंबर 2020 को जेएमएफसी कोर्ट में अर्जी दायर करके वाड़ी पुलिस थाने के खिलाफ कार्रवाई की प्रार्थना की, लेकिन इस पर भी संज्ञान नहीं लिया गया। इसके बाद उसने दो बार और जेएमएफसी में अर्जी दायर करके न्याय के लिए गुहार लगाई, लेकिन जेएमएफसी कोर्ट ने इसका संज्ञान नहीं लिया। 
 

Created On :   27 Jan 2021 5:43 AM GMT

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