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- Earthen lamps with beautiful workmanship came to the market
दैनिक भास्कर हिंदी: मोटर ने बदल दी है चाक की गति, मार्केट में आए सुंदर कारीगरी वाले मिट्टी के दीये

हाईलाइट
- मिट्टी के दीये ही ज्यादातर लोगों के पसंदीदा बने हुए हैं
- मिट्टी के दीये जलाने का ट्रेंड आज भी वैसा ही है
डिजिटल डेस्क,नागपुर। तकनीकी युग में अब हर पर्व हाईटेक हो गया है। दिवाली पर अब पहले की तरह घर-आंगन मिट्टी के दीयों के बजाय इलेक्ट्रिक दीयों से जगमगाते नजर आते हैं। ऐसे में दीया बनाने वाले लोग भी इन वस्तुओं को टक्कर देने के लिए हाईटेक हो रहे हैं। मिट्टी के दीये बनाने के लिए कारीगर इलेक्ट्रॉनिक चाक और सोलर का इस्तेमाल कर रहे हैं। दिवाली मनाने के तौर-तरीकों में तमाम बदलाव आए हैं, लेकिन मिट्टी के दीये जलाने का ट्रेंड आज भी वैसा ही है।
हालांकि दीयों के पैटर्न और स्टाइल में काफी बदलाव देखने को मिला है। टेराकोटा के दीये और कैंडल्स होने के बाद भी मिट्टी के दीये ही ज्यादातर लोगों के पसंदीदा बने हुए हैं। मिट्टी के दीयों वाली थाली भी लोगों को खूब लुभा रही है। दुकानदारों की मानें, तो ग्राहक हर बार कुछ नई चीज खोजते हैं। उनकी डिमांड को ध्यान में रखकर ही सजावट के सामान बनाए जाते हैं। दीवाली का त्योहार आते ही बाजार में जहां रौनक नजर आने लगी है, वहीं लोगों में खरीदारी का खुमार छाने लगा है। इतवारी, बर्डी, महल, पांचपावली आदि बाजारों में दुकानें सज गई हैं। लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां कारीगर तैयार करने में जुटे हुए हैं।
कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक है दीयों की डिमांड
कारीगर गोविंद खांदारे ने बताया कि पारंपरिक चाक को नया रूप दे दिया गया है। चाक में इलेक्ट्रिक मोटर लगे हैं। इससे चाक की स्पीड को आसानी से तेज और कम करके डिजाइन दे सकते हैं, जबकि चाक को हाथ से घुमाने पर ये संभव नहीं हो पाता था। इससे कम समय में आसानी से हजारों मिट्टी के सादे व मन चाहे डिजाइनर दीये बनाने शुरू कर दिए हैं। इससे करोबार को नई दिशा मिल गई है।
यह सोशल मीडिया का ही असर है। बिजली की बचत करने के लिए चाक को सोलर की मदद से भी चलाते हैं। तकनीक में दिन-प्रतिदिन बदलाव आ रहा है। उसके हिसाब से काम करना होगा। विहीरपेठ में हमारा दीये बनाने का पुश्तैनी कारोबार है। पिताजी मोतीलाल और भाई संतोष ने इन दीयों को कश्मीर से कन्याकुमारी तक पहंुचाया है।
वॉशेबल होने से ग्राहक होते हैं आकर्षित
दीये वॉशेबल होने से ग्राहक इसकी ओर आकर्षित होते हैं। सामान्य मिट्टी के दीये 10 रुपए में 6 नग से लेकर एक दर्जन तक मिल रहे हैं, जबकि डिजाइन वाले वाशेबल दीये 15 रुपए से लेकर 150 रुपए में बेचे जा रहे हैं।
150 से अधिक परिवारों की आय का साधन
पांचपावली में मिट्टी की मूर्ति और दीये बनाने वाले कारीगर ने बताया कि यहां रहने वाले 150 परिवारों की आय का यह साधन है। लगभग हर घर में मूर्तियां तैयार होती हैं। पहले तो पेंट भी हाथ से ही किया जाता था, लेकिन अब पेंट करने के लिए मोटरयुक्त मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। तकनीक में बदलाव से मूर्ति बनाने की कला में भी बदलाव आया है। यहां का युवा भी इस कारोबार से जुड़ा हुआ है। यहां की बनी मूर्तियां सिर्फ शहर में ही नहीं, बल्कि आसपास के कई शहरों में निर्यात की जाती हैं। हर परिवार का सदस्य एक दिन में 50 से अधिक मूर्तियां तैयार कर रहे हैं।
आईसेक्ट ग्रुप भोपाल: आईसेक्ट द्वारा ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट विषय पर विशेष ट्रेनिंग सेशन आयोजित
डिजिटल डेस्क, भोपाल। आईसेक्ट के एचआर एवं लर्निंग एंड डेवलपमेंट डिपार्टमेंट द्वारा एम्पलॉइज के लिए ग्लोबल पर्सनल डेवलपमेंट पर एक विशेष ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया गया। इसमें यूनाइटेड किंगडम के कॉर्पोरेट इंटरनेशनल ट्रेनर जुबेर अली द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया गया। जिसमें उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को अपने अनुभवों, डेमोंस्ट्रेशन, वीडियो, स्लाइड शो के माध्यम से नई स्किल्स को प्राप्त करने और अपनी पर्सनेलिटी को बेहतर बनाने के तरीके बताए। साथ ही उन्होंने पर्सनेलिटी डेवलपमेंट और अपस्किलिंग के महत्व पर बात की और बताया कि करियर ग्रोथ के लिए यह कितना आवश्यक है। इस दौरान उन्होंने सफलता के लिए नौ सक्सेस मंत्र भी दिए। इस दौरान कार्यक्रम में एचआर कंसल्टेंट डी.सी मसूरकर और अल नूर ट्रस्ट के सदस्य उपस्थित रहे।
इस पहल पर बात करते हुए आईसेक्ट के निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी ने कहा कि आईसेक्ट कौशल विकास के महत्व को समझता है इसी कारण अपने एम्पलॉइज की अपस्किलिंग के लिए लगातार विभिन्न प्रशिक्षण सेशन का आयोजन करता है। इसी कड़ी में ग्लोबल पर्सनेल डेवलपमेंट पर यह ट्रेनिंग सेशन भी एक कदम है।
स्कोप कैम्पस: खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली भीमबेटका, ओबेदुल्लागंज, मंडीदीप, भोजपुर होते हुए पहुंची रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय और स्कोप कैम्पस
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय और खेल एवं युवा कल्याण विभाग रायसेन के संयुक्त तत्वावधान में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 की मशाल रैली आयोजित की गई। यह यात्रा होशंगाबाद से पर्वतारोही भगवान सिंह भीमबेटका लेकर पहुंचे। फिर भीमबेटका से रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने मशाल लेकर ओबेदुल्लागंज की ओर प्रस्थान किया। ओबेदुल्लागंज में रैली का स्वागत किया गया। साथ ही ओबेदुल्लागंज में मशाल यात्रा को विभिन्न स्थानों पर घुमाया गया। तत्पश्चात यात्रा ने मंडीदीप की ओर प्रस्थान किया। मंडीदीप में यात्रा का स्वागत माननीय श्री सुरेंद्र पटवा जी, भोजपुर विधायक ने किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने खेलों को बढ़ावा देने के लिए मप्र सरकार द्वारा की जा रही पहलों की जानकारी दी और युवाओं को खेलों को जीवन में अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अलावा खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2022 में खिलाड़ियों को जीत के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने खेलों इंडिया यूथ गेम्स के आयोजन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों को रेखांकित किया।
साथ ही कार्यक्रम में रायसेन के डिस्ट्रिक्ट स्पोर्ट्स ऑफिसर श्री जलज चतुर्वेदी ने मंच से संबोधित करते हुए कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार की विभिन्न गतिविधियों पर प्रकाश डाला और खेलों इंडिया यूथ गेम्स के खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं। यहां से धावकों ने मशाल को संभाला और दौड़ते हुए भोजपुर मंदिर तक पहुंचे। मंदिर से फिर यात्रा रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय तक पहुंचती और यहां यात्रा का डीन एकेडमिक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा और उपकुलसचिव श्री समीर चौधरी, उपकुलसचिव अनिल तिवारी, उपकुलसचिव ऋत्विक चौबे और स्पोर्ट्स ऑफिसर सतीश अहिरवार द्वारा भव्य स्वागत किया जाता है। मशाल का विश्वविद्यालय में भी भ्रमण कराया गया। यहां से यात्रा स्कोप कैम्पस की ओर प्रस्थान करती है। स्कोप कैम्पस में स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. डी.एस. राघव और सेक्ट कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सत्येंद्र खरे ने स्वागत किया और संबोधित किया। यहां से मशाल को खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपसंचालक जोश चाको को सौंपा गया।
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