आर्थिक सर्वेक्षण: महाराष्ट्र के विकास दर में गिरावट, 4 लाख करोड़ के पार पहुंचा कर्ज

Economic Survey Report of Maharashtra 2017-18 presented in LA
आर्थिक सर्वेक्षण: महाराष्ट्र के विकास दर में गिरावट, 4 लाख करोड़ के पार पहुंचा कर्ज
आर्थिक सर्वेक्षण: महाराष्ट्र के विकास दर में गिरावट, 4 लाख करोड़ के पार पहुंचा कर्ज

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य की फडणवीस सरकार के वन ट्रिलयन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने के दावों के बीच राज्य की विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है। गुरुवार को विधानसभा में पेश महाराष्ट्र की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2017-18 के मुताबिक राज्य का कर्ज 4,13,044 करोड़ तक पहुंच गया है। राज्य की 30 फीसदी निधि कर्ज का ब्याज चुकाने में खर्च हो रही है। राज्य के विकासदर के साथ ही कृषि विकास दर में भी कमी दर्ज हुई है। राज्य के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने इसके लिए कम बारिश को जिम्मेदार बताया है।

वित्त मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने वर्ष 2018-19 का बजट पेश करने से एक दिन पहले गुरुवार को राज्य की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट विधान सभा में पेश की। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इस वर्ष राज्य की अर्थव्यवस्था में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि का अंदाज व्यक्त किया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि यह वृद्धि वित्त वर्ष 2016-17 में दर्ज की गई 10 प्रतिशत वृद्धि दर पर आधारित होगी। आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक 2017-18 में राज्य में उद्योग क्षेत्र में 6.5 प्रतिशत और सेवा क्षेत्र में 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान है।

निर्माण क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि अपेक्षित
गत वर्ष की तुलना में निर्माण क्षेत्र में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि अपेक्षित है और मैन्युफेंक्चरिंग उद्योग में 7.6 प्रतिशत का वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया गया है। इस वर्ष कम बारिश की वजह से कृषि उत्पादन घटने का अनुमान व्यक्त किया गया है। पिछले साल के मुकाबले कृषि विकास दर में 8.3 फीसदी कमी का अनुमान है। पिछले साल 2016-17 में राज्य की विकास दर 10 फीसदी थी। लेकिन इस साल इसमें 2.7 प्रतिशत की कम आई है। 2017-18 में विकास दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

प्रति व्यक्ति आय में बढ़ोतरी
2017-18  प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 1,80,596 रुपए है जबकि 2016-17 में यह 1,65,491 रुपए थी। यानी एक साल में पंद्रह हजार एक सौ पांच रुपए की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रति व्यक्ति आय के मामले में महाराष्ट्र कई राज्यों से आगे है। आर्थिक सर्वेक्षण में 2017-18  के बजटीय अनुमान के अनुसार 24378 करोड़ राजस्व वसूली का अनुमान व्यक्त किया गया है। इसमें कर राजस्व 190842 करोड़ रुपए और कर इत्तर राजस्व 52896 करोड़ रुपए अपेक्षित है। वहीं राजस्व खर्च 2017-18 के लिए 248249 करोड़ रुपए अपेक्षित है। जबकि राजस्व घाटा, वित्तीय घाटा और कर्ज भार क्रमश 4511 करोड़, 38789 करोड़ रुपए और 413044 करोड़ रुपए रहने का अंदाजा है। 2017-18 के बजटीय अनुमान के अनुसार वित्तीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 1.6 प्रतिशत रहने का अंदाजा है।

4 लाख 13044 करोड़ का कर्ज
आर्थिक सर्वेक्षणक मुताबिक महाराष्ट्र पर 2017-18 में 4,13,044 करोड़ रुपए का कर्ज है। यह कर्ज राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 16.6 प्रतिशत है। कर्ज के हिसाब से राज्य के प्रतिव्यक्ति पर 36 हजार रुपए से ज्यादा का कर्ज है। बता दें कि पिछले वर्ष तक राज्य पर 3 लाख 71 हजार 47 करोड़ रुपए का कर्ज था। यानी एक साल में 41 हजार 997 करोड़ का कर्ज राज्य पर बढ़ गया है। इस बाबत वित्तमंत्री मुनगंटीवार ने कहा कि सरकार ने यह कर्ज इंफ्रास्टेक्चर परियोजनाओं के लिए लिया है। कर्ज चिंता की बात नहीं है।

जापान व सिंगापुर जैसे देशों पर इससे भी ज्यादा कर्ज का भार है। राज्य पर कर्ज जीएसडीपी का 16.6 प्रतिशत है। जबकि 14 वे वित्त आयोग के मुताबिक यह 22.2 प्रतिशत तक हो सकता है। वित्तमंत्री ने बताया कि हमनें केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि कर्ज लेने की सीमा 20 हजार करोड़ बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि हालांकि हम अभी वित्त आयोग के सीमा के भीतर ही हैं।

46 फीसदी हिस्सा वेतन व पेंशन चुकाने में खर्च
आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार राजस्व आय का 46 फीसदी हिस्सा वेतन व पेंशन चुकाने में खर्च होगा। जबकि 12.5 प्रतिशत कर्ज के ब्याज के लिए देना होगा। मुनगंटीवार ने कहा कि राज्य सरकार अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए राजस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि हमारा कर्ज 12.5 फिसदी है। यह अन्य राज्यों की तुलना में अच्छा है। गुजरात में यह 16.83 प्रतिशत व कर्नाटक में 17.9 प्रतिशत है। महाराष्ट्र का राजस्व घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 1.6 फीसदी है जबकि गुजरात में यह 1.82 प्रतिशत, तमिलनाडू में 2.8 प्रतिशत व कर्नाटक में 2.61 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि हमारा राजस्व खर्च अन्य राज्यों की तुलना में ज्यादा है। लेकिन हम इसमें कमी लाने की लगातार कोशिश कर रहे हैं।

पेश होगा राज्य का बजट
विकास दर और कृषि विकास दर में गिरावट के बीच राज्य की फडणवीस सरकार का वार्षिक बजट शुक्रवार की दोपहर 2 बजे विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश होगा। पिछले साल जुलाई में जीएसटी लागू किया गया था। साथ ही विभिन्न इंफ्रास्टेक्चर परियोजनाओं के लिए कर्ज लेने से राज्य सरकार पर कर्ज का भार बढ़ा है। ऐसे में सरकार को सरप्लस बजट पेश करना कठिन कार्य होगा।

ऐसे बढ़ रहा राज्य पर कर्ज
2015-16: 3,24,202 करोड़ रुपए
2016-17: 3,71,047 करोड़ रुपए
2017-18: 4,13,044 करोड़ रुपए

Created On :   8 March 2018 10:03 PM IST

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