पूर्व गृहमंत्री देशमुख की जमानत का ईडी ने किया विरोध

ED opposes bail of former Home Minister Deshmukh
पूर्व गृहमंत्री देशमुख की जमानत का ईडी ने किया विरोध
मनीलांड्रिग मामला पूर्व गृहमंत्री देशमुख की जमानत का ईडी ने किया विरोध

डिजिटल डेस्क,मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) ने बुधवार को मुंबई की विशेष अदालत में मनी लांड्रिंग से जुड़े मामले में आरोपी राज्य के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख की जमानत का विरोध किया है। ईडी ने हलफनामा दायर कर कोर्ट में दावा किया है कि उसने नियमानुसार 60 दिनों की तय अवधि के भीतर आरोपी देशमुख के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया है। इसलिए आरोपी को जमानत न दी जाए। देशमुख ने मंगलवार को अधिवक्ता अनिकेत निकम के जरिए मुंबई की विशेष अदालत में जमानत देने की मांग को लेकर आवेदन दायर किया था। आवेदन में देशमुख ने दावा किया है कि कोर्ट 60 दिनों के भीतर ईडी की ओर से दायर किए गए आरोपपत्र का संज्ञान नहीं लिया है। इसलिए मुझे डिफाल्ट जमान दी जाए। जिसका ईडी ने हलफनामा दायर का विरोध किया है। कोर्ट में अब सात जनवरी को देशमुख के जमानत आवेदन पर सुनवाई होगी। 

हलफनामे में ईडी ने कहा है कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 167 के तहत इस मामले में डिफाल्ट जमानत के लिए कोर्ट के आरोपपत्र का संज्ञान लेने का विषय प्रासंगिक नहीं है। हलफनामे में ईडी ने कहा है कि देशमुख का जमानत आवेदन तथ्यहीन व आधारहीन है। हलफनामे के मुताबिक कोर्ट ने सिर्फ आरोपपत्र का संज्ञान नहीं लिया है। इसलिए आरोपी देशमुख जमानत के लिए पात्र नहीं हो जाते है। हलफनामे में कहा गया है कि यदि किसी मामले में आरोपपत्र व पूरक आरोपपत्र दायर कर दिया जाता है तो डिफाल्ट जमान के आग्रह पर विचार नहीं हो सकता है।  

ईडी ने देशमुख को दो नवंबर 2021 को गिरफ्तार किया था। देशमुख फिलहाल न्यायिक हिरासत में है और उन्हें मुंबई के आर्थर रोड जेल में रखा गया है। 29 दिसंबर 2021 को ईडी ने देशमुख के खिलाफ सात हजार पन्नों का आरोपपत्र दायर किया था। जमानत आवेदन में देशमुख ने दावा किया है कि वे 60 दिनों से हिरासत में है। चूंकि कोर्ट ने अब तक ईडी की ओर से दायर किए गए आरोपपत्र का संज्ञान नहीं लिया है। इसलिए मुझे आपराधिक प्रक्रिया संहिता(सीआरपीसी) की धारा 167 के प्रावधान के तहत डिफाल्ट जमानत मिलनी चाहिए। सीआरपीसी की धारा 167 के मुताबिक यदि गिरफ्तारी की तारीख से आरोपी के खिलाफ 60 दिन के भीतर आरोपपत्र दायर नहीं किया जाता है और इस अवधि के भीतर आरोपपत्र का संज्ञान नहीं लिया जाता है तो आरोपी अपने आप डिफाल्ट जमानत के लिए पात्र हो जाता है। 
 

Created On :   5 Jan 2022 8:08 PM IST

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