कोरोना को मात देकर घर लौटे बुजुर्ग , इच्छाशक्ति के आगे हारी महामारी

Elders returned home after beating Corona, losing epidemic in front of will
कोरोना को मात देकर घर लौटे बुजुर्ग , इच्छाशक्ति के आगे हारी महामारी
कोरोना को मात देकर घर लौटे बुजुर्ग , इच्छाशक्ति के आगे हारी महामारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  कोरोना वायरस के बारे में विशेषज्ञों का कहना है कि जो इससे डर गया, समझो उसके ऊपर यह बीमारी भारी पड़ गई और जिसने निर्भय होकर हिम्मत से इसका सामना किया वह बहुत जल्दी स्वस्थ होकर अपनी पुरानी जिंदगी में लौट आया। कुछ ऐसा ही शहर में देखने को मिला है, जहां  85 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले कुछ बुजुर्गों की मजबूत इच्छाशक्ति के सामने कोरोना ने दम तोड़ दिया। इन्होंने यह साबित कर दिया कि हिम्मत से कोरोना को हराना कठिन नहीं है। ये सभी वरिष्ठ नागपुर कोरोना संक्रमण को मात देकर अपने घर जा चुके हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं। इन बुजुर्गों ने कोरोना को कैसे मात दी, इस संबंध में दैनिक भास्कर ने उनके विचार साझा किए।

जौ और चना का सत्तू खाती थी
मैं 27 अगस्त 2020 को पॉजिटिव होने के बाद 14 दिन मेयो अस्पताल में भर्ती रही। उसके बाद स्वस्थ होकर घर लौटी। मैंने डॉक्टर के अनुसार बीमारी के दौरान जौ और चना का सत्तू नियमित खाती थी। लगातार सोया मिल्क भी पीती रही और मन में हमेशा सकारात्मक विचार रखती थी। मेरा सभी से यही अनुरोध है कि कोरोना से घबराएं नहीं। परिवार के लोग साथ और हौसला दें और डॉक्टर के अनुसार दवा लें तो कोरोना को हरा सकते हैं।

इच्छाशक्ति सबसे ज्यादा जरूरी
मैं पिछले महीने कोरोना पॉजिटिव हुई। उसके बाद मुझे वीएनआईटी क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया। एक दिन वहां रात में गिर गई। उसके बाद नाक और मुंह से खून आने लगा, फिर मेयो अस्पताल में भर्ती कराया गया। तीन दिन मेयो में रहने के बाद वापस क्वारेंटाइन सेंटर में आ गई। शुरुआत से ही मेरा खानपान बहुत संतुलित रहा है। पहले से ही दलिया, पराठा और दही खाती हूं। जब क्वारेंटाइन सेंटर में थी, तो मेरे लिए बाहर से पसंद के अनुसार खाना आता था। मुझे उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कोई बीमारी नहीं है। आज कोरोना को मात देकर स्वस्थ जीवन जी रही हूं। मेरा मानना है कि आप सकारात्मक रहें। कोरोना को मात देने के लिए इच्छाशक्ति सबसे ज्यादा जरूरी है।

नकारात्मक विचार मन से हटाएं
मैं अप्रैल की शुरुआत में कोरोना पॉजिटिव हुआ। उसके बाद 17 दिन मेडिकल अस्पताल में भर्ती था। वर्षों से बीपी की तकलीफ है। जब कोरोना हुआ, तो सबसे पहले नकारात्मक विचार अपने मन से हटाए। घबराहट में मेडिकल अस्पताल के स्टाफ ने मेरी बहुत देखभाल की। नर्स और डॉक्टर वार्ड के सभी मरीजों का बहुत ध्यान रखते थे। मैंने दृढ़ इच्छाशक्ति से कोरोना को मात दी और आज पूरी तरह स्वस्थ हूं। अब नियमित व्यायाम भी करता हूं। मेरा सभी से कहना है कि के गाइड लाइन का पालन करें।

अस्पताल में बढ़ाया एक-दूसरे का हौसला
मैं 10 दिन तक शालिनीताई मेघे हॉस्पिटल में भर्ती रहा। मेरे लंग्स में इंफेक्शन था। अस्पताल में अनुलोम-विलोम और प्राणायाम नियमित करता था। मुझे लगता है कि अगर कोई कोरोना पॉजिटिव है, तो अस्पताल में भी एक-दूसरे का हौसला बढ़ाएं। अस्पताल में हमारे घर-परिवार के सदस्य नहीं होते, तो वहां के लोगों को ही अपना परिवार समझकर एक-दूसरे से बातचीत करें। मैंने कोरोना को मात दी और आज स्वस्थ जीवन जी रहा हूं।

Created On :   29 April 2021 12:06 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story