चुनाव आयोग के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती

Election Commissions order challenged in High Court
चुनाव आयोग के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती
महाराष्ट्र चुनाव आयोग के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती

डिजिटल डेस्क, मुंबई। राज्य चुनाव आयोग की ओर से अंतिम प्रभाग रचना की सूची प्रकाशित करने को लेकर जारी किए गए आदेश को बांबे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। जबकि हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि इस मामले में आगे उठाए जाने वाले कदम कोर्ट की ओर से 17 मई को दिए जानेवाले आदेश के आधीन होगे। राज्य चुनाव आयोग की ओर से 10 मई 2022 को पुणे महानगरपालिका के आयुक्त एवं प्रशासक को प्रभाग रचना की सूची प्रकाशित करने को लेकर जारी किए गए इस आदेश के खिलाफ कारोबारी उज्वल केसकर व अन्य ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। 

याचिका में दावा किया गया है कि राज्य चुनाव आयोग की ओर से  पुणे मनपा आयुक्त को प्रभाग रचाना के अंतिम स्वरुप की सूची प्रकाशित करने को लेकर 10 मई 2010 को जारी किया गया आदेश महाराष्ट्र म्यूनिसिपल कार्पोरेशन अधिनियम की धारा 5(3) में किए गए संसोधन के विपरीत है। इसके अलावा यह सुप्रीम कोर्ट की ओर से चार मई 2022 को जारी किए गए निर्देश के भी खिलाफ है। राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के 4 मई 2022 के आदेश को गलत तरीके से समझा है। लिहाजा मामले से जुड़ी याचिका को विचारार्थ मंजूर किया जाए और राज्य चुनाव आयोग की ओर से 10 मई 2022 को अंतिम प्रभाग रचना की सूची प्रकाशित करने को लेकर पुणे मनपा आयुक्त एवं प्रशासक को दिए गए आदेश को  रद्द कर दिया जाए। 

अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एके मेनन व न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ के सामने याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता संजीव गोरवाडकर ने खंडपीठ को याचिका में उठाए गए मुद्दे को जानकारी दी। जिस पर गौर करने के बाद खंडपीठ ने कहा कि इस मामले में आगे उठाए जानेवाले कदम हाईकोर्ट की ओर से 17 मई को दिए जानेवाले आदेश के आधीन होगे। खंडपीठ ने कहा कि अगली सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग के वकील उपस्थित रहे।  याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य चुनाव आयोग को प्रभाग की परिसीमन तय करने के लिए नहीं चुनाव कार्यक्रम को अधिसूचित करने को कहा है। याचिका के मुताबिक राज्य चुनाव आयोग ने जानबूझकर चुनाव प्रक्रिया व प्रभाग गठन की प्रक्रिया के बीच के अंतर की अनदेखी की है।

याचिका में कहा गया है कि चुनाव प्रक्रिया प्रभाग के गठन पर निर्भर हो सकती है लेकिन यह गठन चुनाव प्रक्रिया का हिस्सा नहीं हो सकता है। याचिका में कहा गया है कि प्रशासक सिंतबर 2022 तक पुणे मनपा के प्रशासन के कामकाज को देख सकते है। ऐसे में वैध तरीके से प्रभाग गठन,प्रभाग आरंक्षण व मतदाता सूची के अभाव में राज्य चुनाव आयोग चुनाव घोषित करने की दिशा में कदम नहीं उठा सकता है। इसके अलावा एक फरवरी 2022 को प्रभाग रचना को लेकर जो मसौदा जारी किया गया था उसमें इलाके की आबादी से जुड़ी जानकारी छुपाई गई है। जो की एक महत्वपूर्ण सूचना है। इसके अलावा मतदाताओं को अपनी आपत्ति जताने का अवसर से भी वंचित किया गया है।  याचिका के अनुसार प्रस्तावित प्रभाग का गठन राज्य चुनाव आयोग के 28 दिसंबर 2021 के आदेश के खिलाफ है। इसलिए राज्य चुनाव आयोग की ओर से 10 मई 2022 को अंतिम प्रभाग रचना की सूची प्रकाशित करने को लेकर पुणे मनपा आयुक्त एवं प्रशासक को दिए गए आदेश को  रद्द कर दिया जाए। खंडपीठ ने अब इस याचिका पर 17 मई को सुनवाई रखी है। 
 

Created On :   14 May 2022 7:42 PM IST

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