श्रीराम पथ वनगमन के बनने का इंतजार, कांग्रेस का है वादा

election promise to build the Ramvan Gaman path starting from Chitrakoot to the border of the state
श्रीराम पथ वनगमन के बनने का इंतजार, कांग्रेस का है वादा
श्रीराम पथ वनगमन के बनने का इंतजार, कांग्रेस का है वादा

डिजिटल डेस्क, सतना। लाखों-लाख हिंदू आस्था के केंद्र भगवान श्रीराम के पावन तपोधाम चित्रकूट के 84 कोसीय तपोवन क्षेत्र को क्या,कांग्रेस की नाथ सरकार पुरातात्विक सर्वेक्षण कराते हुए इसे अधिसूचित कराने की पहल करेगी? जानकारों की राय में ये सवाल इसलिए भी अहम है, क्योंकि कांग्रेस के वचन-पत्र में चित्रकूट से शुरु होने वाले रामवन गमन पथ को प्रदेश की सीमा तक निर्मित कराने का चुनावी वादा है। चित्रकूट से लगातार दूसरी बार कांग्रेस के विधायक नीलांशु चतुर्वेदी  भी वचन पत्र के प्रति प्रतिबद्धता जताते हैं, मगर प्रश्न ये है कि क्या सिर्फ पथ निर्माण ही काफी है? जरुरत तो इस बात की है कि चित्रकूट के 84 कोसीय तपोवन क्षेत्र में स्थित  त्रेतायुगीन वनवास काल से जुड़े श्रीकामदगिरी पर्वत ,भरत मिलाप, पर्णकुटी, देवांगना , सीता रसोईं, गुप्तगोदावरी, सरंभग , सिद्धा पर्वत , सुतीक्ष्ण- अगस्त ,सारंग और सती अनुसुइया जैसे पौराणिक , अध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के आधा सैकड़ा से भी अधिक पवित्र स्थलों की आधिकारिक और वैज्ञानिक प्रमाणिकता के लिए पुरातात्विक सर्वेक्षण कराते हुए इन्हें संरक्षित और विकसित किया जाए।

रामायण सर्किट, क्या है जन आस्था
मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित चित्रकूट केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत रामायण सर्किट का हिस्सा है।  मगर, केंद्र और राज्य सरकारों ने कभी भी इस रामायणकालीन श्रीराम वन पथ गमन के स्थलों को अधिसूचित करने की बात तो दूर कभी आधिकारिक अध्ययन तक की जरुरत नहीं समझी। ऐसा जन विश्वास है कि त्रेतायुग में अपने 14 वर्ष के वनवास काल के साढ़े 11 साल भगवान राम ने इसी चित्रकूट में 84 कोसीय तपोवन क्षेत्र में अपने अनुज लक्ष्मण और भार्या सीता के साथ व्यतीत किए थे। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के अंतराज्यीय सीमा क्षेत्र में स्थित इस तपोवन क्षेत्र का 80 फीसदी भूभाग सतना जिले में स्थित है। श्रीराम के समकालीन महाकवि वाल्मीकि रामायण और गोस्वामी तुलसीदास की श्रीरामचरित मानस में भी चित्रकूट क्षेत्र का विस्तृत विवरण मिलता है। ये दीगर बात है कि इसी तपोवन क्षेत्र के मां मंदाकिनी तट पर अनगिनत अनाम ऋषियों की समृद्ध परंपरा आज भी युगों -युगों से प्रचलित, जनविश्वास, लोक कथाओं , किवदंतियों और दंतकथाओं में जीवंत हैं।

बदल सकती है तकदीर 
चित्रकूट के तपोवन क्षेत्र को अगर धार्मिक और पर्यटन के महत्व से विकसित किया  जाए तो देशी- विदेशी सैलानियों का आकर्षित करना कठिन नहीं होगा। इससे स्थानीय स्तर पर न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि स्थानीय कला , शिल्प, संस्कृति और कुटीर उद्योग की संभावनाओं को भी बल मिलेगा। विंध्य पर्वत श्रंृखला में स्थित चित्रकूट के घने जंगलों में कुदरत मेहरबान है। नैसर्गिक छटा के बीच अनेक जलप्रपात यहां इको टूरिज्म की संभावानाओं को बढ़ाते हैं मगर बावजूद इसके खनिज, वनज संपदा से भरपूर गिरिजन बहुल्य इस जंगली क्षेत्र में दस्यु समस्या स्थायी नीयति बन चुकी है। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर नहीं हैं। गरीबी,बेकारी और भुखमरी की अंतहीन विडंबना के बीच एक टूरिज्म के अवसर ही इस अति पिछड़े क्षेत्र को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़कर खुशहाली का स्वर्णिम इतिहास लिख सकते हैं। 
 

Created On :   19 Dec 2018 7:51 AM GMT

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