यहां के  62 गांवों में अब तक नहीं पहुंची बिजली, अंधकारमय जीवन जी रहे ग्रामीण

Electricity does not reach in 62 villages of maharashtra
यहां के  62 गांवों में अब तक नहीं पहुंची बिजली, अंधकारमय जीवन जी रहे ग्रामीण
यहां के  62 गांवों में अब तक नहीं पहुंची बिजली, अंधकारमय जीवन जी रहे ग्रामीण

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। बीते दिनों केंद्र सरकार ने यह दावा कर सबको चौंका दिया था कि देश के हर गांव में बिजली पहुंचाई गई है। इसके तुरंत बाद सोशल मीडिया पर अनेक गांवों के अंधकारमय होने की स्थिति बयां की जाने लगी। 100 फीसदी बिजलीकरण के हालात अब भी बन नहीं पाएं हैं। प्रेस कांफ्रेंस में यह जानकारी महाराष्ट्र राज्य विद्युत मंडल के संचालक विश्वास पाठक ने दी। उन्होंने क्षेत्र के गांवों की स्थिति बयां करते हुए 62 गांवों में बिजली आपूर्ति नहीं पहुंच पाने की भी जानकारी दी। गड़चिरोली जिले के अति दुर्गम, जंगल एवं पहाड़ियों से घिरे इन 62 गांवों में बिजली के तारों का जाल बिछाया नहीं जा सकता इसलिए सौर ऊर्जा विभाग को इन गांवों को रोशन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। नक्सल प्रभावित इन गांवों के 625  ग्रामीणों ने बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन कर रखा है। इन्हें दिसंबर माह के अंत तक बिजली उपलब्ध कराने की नीति बनाए जाने की जानकारी विश्वास पाठक ने दी।

पर्यावरण संवर्धन के लिए कटौती
किसानों के कल्याण के लिए सरकार ने ध्यान केंद्रित किया है। कृषि पंपों को पर्याप्त बिजली पहुंचाने की दिशा में अथक प्रयास किए जा रहे हैं। फिलहाल रात के समय पहुंचाई जाने वाली बिजली दिन के समय भी किसानों को देकर सिंचाई की समस्याओं को हल करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे किसानों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी, लेकिन  विभाग पर लोडशेडिंग व अन्य आरोप लगाए जा रहे हैं, जो बेबुनियाद है। सरकार ने बीते 4 वर्ष में काफी उल्लेखनीय कार्य किया है। जनता तक बिजली की सुलभता एवं आसान कार्य प्रणाली का लाभ पहुंचाने के लिए नई तकनीक एवं डिजिटल प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है। यह जानकारी भी उन्होंने दी। इस दौरान महावितरण नागपुर के प्रादेशिक संचालक भालचंद्र खंडाईत, मुख्य अभियंता अरविंद भादीकर एवं ऊर्जा मंत्री के सलाहकार विवेक जोशी आदि उपस्थित थे।

लोडशेडिंग कहीं नहीं
जहां भी बिजली गुल होने की समस्या निर्माण हो रही है, वह तकनीकी एवं सुधार कारणों के चलते हैं। पूर्व की तरह लोडशेडिंग की दिक्कतें अब नहीं है। पारदर्शिता के कारण कोयला स्थानीय बिजली घरों तक पहुंचाने की नीति सरकार ने अपनाई है। गड़बड़ियों को कम करने के लिए थर्ड पार्टी के तौर पर ऑडिट प्रणाली का इस्तेमाल किए जाने से मराविम का घाटा कम हो चुका है। बीते 4 वर्ष में संसाधनों के निर्माण एवं विकास कार्यों पर ध्यान दिया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से पर्याप्त निधि दी जा रही है।

Created On :   1 Dec 2018 1:12 PM GMT

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