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बिजली दे सकती है झटका, बढ़ सकते हैं रेट

अतुल मोदी , नागपुर। इस बार बिजली उपभोक्ताओं को झटका दे सकती है । बिजली के रेट भी बढ़ सकते हैं। पॉवर एक्सचेंज में चल रही बिजली दरों से यदि कोई नतीजा निकलता है, तो इस बार गर्मी बड़ी भारी पड़ सकती है। फरवरी में ऊर्जा बाजार में बिजली की औसत दर 3 रुपए 23 पैसे रही, जबकि सुबह के व्यस्ततम घंटे 7 से 10 बजे के मध्य सबसे अधिक 4 रुपए 16 पैसे प्रति यूनिट की दर से बेची गई। यह दर पिछले वर्ष इस माह की दर से करीब 27 प्रतिशत अधिक है। इतना ही नहीं एक्सचेंज में बिजली खरीद में भी 14 प्रतिशत मांग बढ़ी है। बिजलीघरों में कोयले की कमी है। मानसून खराब रहने से बांध भी खाली पड़े हैं। उधर मुंबई छोड़ शेेष विदर्भ में बिजली की मांग अभी से व्यस्ततम घंटों में 18 हजार मेगावाट के ऊपर बनी हुई है, जबकि रात में कम से कम 15 हजार मेगावाट बिजली की आवश्यकता है। फिलहाल कोयना जल विद्युत केंद्र चलाकर जैसे-तैसे बिजली की मांग पूरी की जा रही है, लेकिन मई-जून में स्थिति के बिगड़ने की आशंका बनी हुई है।
मांग के अनुरूप आपूर्ति
प्रदेश में सुबह के व्यस्ततम घंटों में मुंबई छोड़ कर शेष महाराष्ट्र में मांग 18500 मेगावाट के आस-पास है, जबकि देर रात के घंटों में भी 15 हजार मेगावाट के ऊपर बनी हुई है। मुंबई सहित मांग 21 हजार मेगावाट के ऊपर पहुंच रही है। फिलहाल महाजेनको, निजी उत्पादक व केंद्रीय विद्युत केंद्रों में राज्य के हिस्से की बिजली के चलते मांग पूरी हो रही है। पिछले वर्ष ग्रीष्म काल में महाराष्ट्र की अधिकतम विद्युत मांग 22 हजार 542 मेगावाट तक चली गई थी। इस साल मुंबई छोड़कर शेष महाराष्ट्र की मांग ही 21 हजार मेगावाट के ऊपर पहुंचने के आसार हैं। मुंबई सहित यह 24 हजार मेगावाट के ऊपर तक जा सकती है। ऐसे में प्रदेश में बिजली की कमी हो सकती है।
कोयला और पानी की है कमी
इस वर्ष कोयला और पानी दोनों की कमी है। पानी की कमी से महाजेनको के चंद्रपुर बिजलीघर की 210 मेगावाट की 2 इकाइयां दिसंबर से तथा 500 मेगावाट की इकाई जनवरी से ही बंद हैं। महाजेनकों को अभी भी करीब 19 प्रतिशत कम कोयला मिल रहा है। इसका असर ऐन गर्मी के वक्त दिखाई दे सकता है। अदानी पॉवर के तिरोड़ा प्लांट में कोयले की कमी के चलते 1800 मेगवाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है, जबकि इसकी क्षमता 3300 मेगावाट है। जिंदल पॉवर में भी कमोबेश यही स्थिति है। रिलायंस के दहाडू व बूटी बोरी बिजलीघर को छोड़ दें, तो सभी निजी बिजलीघर कोयले की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में इस बार 3000 मेगावाट से भी अधिक बिजली बाजार से खरीदनी पड़ सकती है।
करना पड़ सकता है अतिरिक्त राशि का भुगतान
बिजली की कमी होने पर बाजार से खरीदी गई बिजली के लिए चुकाई गई अतिरिक्त राशि को समायोजित कर उपभोक्ता को प्रति यूनिट के हिसाब से विद्युत दर के अलावा अतिरिक्त राशि ली जाती है। यदि बाजार से अतिरिक्त बिजली खरीदनी पड़ी, तो इस मद में अधिक अतिरिक्त राशि का भुगतान उपभोक्ता को करना होगा। इससे बिल बढ़ जाएगा।
Created On :   12 March 2018 1:37 PM IST