मानसून सत्र से पहले विशेष अधिवेशन पर जोर

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मानसून सत्र से पहले विशेष अधिवेशन पर जोर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोरोना संकट के कारण भले ही विधानमंडल के अधिवेशन तय समय पर नहीं हो पा रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दल विविध मुद्दों को लेकर आमने-सामने होने की तैयारी कर रहे हैं। आरक्षण के मामले को लेकर विशेष अधिवेशन की मांग क्या उठी अन्य विषयों के साथ जल्द अधिवेशन बुलाने की भी मांग की जाने लगी है। इस बीच राजनीतिक दल ताजा मुद्दों को लेकर आंदोलन के ‘मोड’ पर हैं। मराठा आरक्षण को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार को घेरने की तैयारी की है, वहीं बीज खाद मामले को लेकर केंद्र सरकार के विरोध में कांग्रेस ने आंदोलन की चेतावनी दी है। साफ संकेत है कि कोविड संक्रमण को लेकर सख्ती में नरमी आते ही राज्य में आंदोलन तेज हो जाएंगे।

मंगाए जा रहे ऑनलाइन आवेदन‌
गौरतलब है कि 2020 में कोरोना संकट की आहट जब सुनी गई, तब मुंबई में राज्य विधानमंडल का शीतकालीन अधिवेशन चल रहा था, जिसे जल्दबाजी में समेट लिया गया। उसके बाद सितंबर 2020 में दो दिन का मानसून अधिवेशन हुआ। इस वर्ष शीतसत्र व बजट सत्र मुंबई में ही हुआ। 5 जुलाई को मानसून अधिवेशन कराने की घोषणा की गई है। इसके लिए विधानमंडल सदस्यों से प्रश्न मंजूरी के लिए ऑनलाइन आवेदन भी मंगाए जा रहे हैं, लेकिन जून में ही विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग जोर पकड़ रही है। भाजपा के एक पदाधिकारी के अनुसार राज्य में कोराना संकट से निपटने की उपाययोजना को लेकर 3 दिन का विशेष अधिवेशन बुलाने की मांग की गई है। मराठा आरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पहले ही कह चुके हैं कि आवश्यक हो तो एक दिन का विशेष अधिवेशन बुलाया जा सकता है।

एक-दूसरे पर मढ़ रहे आरोप
 बताया जा रहा है कि विशेष अधिवेशन की मांग को जोर देने व आंदोलन की तैयारी के लिए भाजपा की प्रदेश स्तर पर विशेष बैठक हुई है। इस मामले पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले कहते हैं कि संकट के समय सभी को राजनीति से परहेज करना चाहिए। विपक्ष की ओर से केवल राजनीति की जा रही है। विशेष अधिवेशन के बारे में किसी भी तरह का निर्णय मुख्यमंत्री व उनका मंत्रिमंडल ही ले सकता है। पटोले कहते हैं कि केंद्र सरकार ने रासायनिक खाद की कीमत में प्रति बोरी 900 रुपए तक वृद्धि की है। भाजपा नेता गिरीश व्यास कहते हैं कि कोविड संक्रमण की उपाययोजना में राज्य सरकार अपनी असफलता छिपा रही है। विपक्ष के किसी भी जवाब का सीधे जवाब नहीं दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री यदि 1 दिन को विशेष अधिवेशन बुलाएं, तो कोरोना संकट पर चर्चा के लिए उसे 3 से 4 दिन अवश्य चलने देना चाहिए।

Created On :   20 May 2021 3:33 PM IST

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