नागपुर के इंजीनियरिंग कॉलेजों की हालत खराब, फीस के 300 करोड़ अटके

Engineering colleges deteriorated, 300 crores of fees stuck
नागपुर के इंजीनियरिंग कॉलेजों की हालत खराब, फीस के 300 करोड़ अटके
नागपुर के इंजीनियरिंग कॉलेजों की हालत खराब, फीस के 300 करोड़ अटके

डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोराेना संक्रमण की वजह लगे लॉकडाउन के बाद इंजीनियरिंग कॉलेजों की आर्थिक हालत खराब हो गई है। मौजूदा वक्त में नागपुर विभाग के लगभग 50 इंजीनियरिंग कॉलेजों के 300 करोड़ रुपए लटक गए हैं, ऐसे में कॉलेज प्रबंधन भी अब आर्थिक पैकेज की मांग करते नजर आ रहे हैं। और हाल ही में राज्य कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल ने इंजीनियरिंग और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के प्रवेश के लिए ली जाने वाली सीईटी परीक्षा स्थगित कर दी है। जिससे कॉलेजों की एडमिशन से लेकर तो विविध मुद्दों पर प्लानिंग खराब हो गई है। हर वर्ष जुलाई-अगस्त में जोर पकड़ने वाली प्रथम वर्ष की प्रवेश प्रकिया कब से शुरू होगी, इस का अभी कोई जवाब नहीं है। लॉकडाउन में गड़बड़ाई आर्थिक प्रणाली और काेरोना संक्रमण के डर से बाहरी विद्यार्थी नागपुर में आकर प्रवेश लेंगे या नहीं इसकी भी गारंटी नहीं है। एआईसीटीई और यूजीसी के निर्देशों के अनुसार कॉलेज विद्यार्थियों को फीस भरने के लिए भी नहीं कह सकते और राज्य सरकार से भी छात्रवृत्ति की प्रतिपूर्ति लटकी हुई है। ऐसे में इंजीनियरिंग कॉलेज चौतरफा मार झेल रहे हैं। 

ऐसे होता है नियोजन
कॉलेज संचालकों की मानें तो हर साल जुलाई-अगस्त में होने वाले फर्स्ट इयर एडमिशन का एवरेज और सीनियर सेमिस्टर में अध्ययनरत विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति मिला कर प्रत्येक इंजीनियरिंग कॉलेज का करीब 6 से 7 करोड़ रुपए लटक गए हैं। नागपुर विभाग में करीब 50 इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। ऐसे में अकेले नागपुर विभाग के 300 करोड़ रुपए लटक गए हैं। कॉलेजों की आय एक प्रकार से रुक गई है। यही कारण है कि कई कॉलेजों ने अपने शिक्षकों और स्टाफ का वेतन रोक रखा है, तो किसी कॉलेज ने वेतन में भारी कटौती कर दी है। 

कॉलेजों को भी मिले आर्थिक पैकेज
जेडी कॉलेज के कार्यकारी संचालक अविनाश दोरसटवार के अनुसार कोरोना के कारण कॉलेजों का आर्थिक नियोजन गड़बड़ा गया है। नागपुर में बड़ी संख्या में बाहरी और ग्रामीण विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं, लेकिन सबकी आर्थिक हालत कमजोर हुई है। छात्रवृत्ति भी मिलती हो तो कपड़े-रहने और खाने का खर्च तो होता ही है। ऐसे में इस वर्ष प्रथम वर्ष में पर्याप्त प्रवेश होंगे, इसकी उम्मीद कम है। वहीं सरकार ने भी छात्रवृत्ति की प्रतिपूर्ति पर्याप्त मात्रा में आवंटित नहीं की है। ऐसे में सरकार को एमएसएमई क्षेत्र की ही तरह कॉलेजों के लिए भी आर्थिक पैकेज घोषित करना चाहिए। ताकि हम हमारे स्टाफ का वेतन दे सकें, कॉलेजों का उचित प्रबंधन कर सकें।
 

Created On :   25 Jun 2020 10:26 AM GMT

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