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आज भी यहां घरों में ही होती है गर्भवतियों की प्रसूति

डिजिटल डेस्क, गड़चिरोली। राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गर्भवती माताओं, किशोरियों और नवजात बालकों के लिए अनेक प्रकार की कल्याणकारी योजनाएं क्रियान्वित की है, लेकिन आदिवासी बहुल और नक्सल प्रभावित गड़चिरोली जिले में इन योजनाओं को प्रभावी रूप से चलाने के लिए डाक्टर और कर्मचारियों की कमी होने के कारण आज भी योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगांे को नहीं मिल पा रहा है। इसी का नतीजा है कि, पिछले दो वर्ष की कालावधि में 1 हजार 559 गर्भवती माताओं की प्रसूति अस्पतालों में होने के बजाए घरों में हुई। इस गंभीर समस्या के चलते ही गड़चिरोली जिले में कुपोषण, बाल मृत्यु और माता मृत्यु का प्रमाण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने हाल ही में एक रिपोर्ट तैयार की है। रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2019 से मार्च 2021 की कालावधि में जिले के विभिन्न अस्पतालों में 19 हजार 575 गर्भवती माताआें का पंजीयन कराया गया, लेकिन इनमें से 16 हजार 123 गर्भवती माताओं की प्रसूति सरकारी अस्पतालों में हो पायी है। जबकि 809 माताओं की प्रसूति घरों में हुई।
वहीं अप्रैल 2021 से फरवरी 2022 की कालावधि में 17 हजार 670 गर्भवती माताओं का पंजीयन कराया गया। इनमें से 16 हजार 920 माताओं की प्रसूति अस्पतालों में हुई। जबकि 750 गर्भवती माताओं की प्रसूति घरों में ही कराई गई। हिसाब लगाया जाए तो अप्रैल 2019 से फरवरी 2022 की कालावधि में जिले में 1 हजार 559 गर्भवती माताओं की प्रसूति घरों में हाेने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग ने साझा की है। यहां बता दें कि, स्वास्थ्य मंत्रालय ने गड़चिरोली जिले में 1 जिला अस्पताल, एक पृथक महिला व बाल अस्पताल समेत 9 ग्रामीण अस्पताल, 3 उपजिला अस्पताल और 45 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व 245 से अधिक उपकेंद्र आरंभ किए हैं। ग्रामीणों तक स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावी रूप से पहुंचाने के लिए इन अस्पतालों में अत्याधुिनक उपकरण भी लगाए गए हैं, लेकिन आज भी उपरोक्त सभी अस्पतालों में डाक्टरों व कर्मचारियों की कमी है। गर्भवती माताओं के लिए सरकार ने कई तरह की योजनाएं क्रियान्वित की है।
योजना के तहत स्वास्थ्य कर्मचारी के माध्यम से गर्भवती माताओं की नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच के साथ दवाइयों का वितरण और पोषाहार उपलब्ध कराया जाता है। गर्भवती माताओं की प्रसूति अस्पतालों में कराने के लिए संबंधित गर्भवती माताओं को 800 रुपए की निधि विभिन्न चरणों मंे बांटी जाती है, लेकिन सरकार के यह सारे प्रयास गड़चिरोली जिले में धरे के धरे रह गए हैं। ग्रामीण इलाकों में आज भी बीमार व्यक्तियों पर डाक्टरों से इलाज करवाने के बजाए गांव के तांत्रिकों से इलाज करवाया जाता है। इसी का नतीजा है कि पिछले दो वर्ष में 1559 प्रसूति घरों में ही कराई गई। नागपुर संभाग के 6 जिलों में गड़चिरोली जिले का यह आंकड़ा सर्वाधिक बताया गया है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार चंद्रपुर जिले में 46, नागपुर 41, भंडारा 25, वर्धा 25 आैर गांेदिया जिले में 10 गर्भवती माताओं की प्रसूति घरों में हुई। स्थिति के मद्देनजर गर्भवती माताओं की प्रसूति अस्पतालों में कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग को पुरजोर जनजागृति करने की आवश्यकता महसूस हो रही है।
गड़चिरोली के 2 अस्पतालों को ‘सुमन’ का दर्जा
केंद्र सरकार ने गरीब तबके के लोगों के लिए 2021 में सुरक्षित मातृत्व आश्वासन (सुमन) कार्यक्रम आरंभ किया है। अब तक इस कार्यक्रम के तहत जिले के किसी अस्पताल का समावेश नहीं किया गया था। मात्र घरों में हो रही प्रसूति की संख्या लगातार बढ़ने के कारण राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिले के 2 अस्पतालों को सुमन का दर्जा देने का फैसला लिया है। शुक्रवार काे जारी एक शासनादेश के अनुसार, जिले की चामोर्शी तहसील के भेंडाला स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और कुरखेड़ा के उपजिला अस्पताल को सुमन का दर्जा िदया गया है। योजना के तहत प्रसव से पहले गर्भवती महिला चार बार अपना फ्री में चेकअप करवा सकती हैं जिससे उन्हें अपने होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में पता चलता रहेगा। साथ ही महिला के गर्भवती होने के 6 महीने से लेकर बच्चे के जन्म के 6 महीने तक मुफ्त इलाज, दवाइयां और स्वास्थ्य से संबंधित अन्य सेवाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा महिला की डिलिवरी के समय घर से अस्पताल तक ले जाने का खर्चा भी मुफ्त में होगा।
Created On :   12 March 2022 7:27 PM IST