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बिना रायल्टी दिए रेत घाट से धड़ल्ले से हो रहा उत्खनन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बिना रॉयल्टी (डब्ल्यू आर) के चलते प्रतिदिन प्रत्येक रेत घाट से लाखों की रेत के वारे-न्यारे होते हैं। जिसका कोई लेखा-जोखा प्रशासन के पास नहीं पहुंचता, जबकि खनिकर्म विभाग से रेत घाट मालिकों को महीने की जरूरत के हिसाब से रॉयल्टी की आपूर्ति की जाती है। जैसे एक घाट से प्रतिदिन 100 ट्रक रेत बेची जाती है, तो उसमें से लगभग आधी यानी 50 ट्रक रेत बिना रॉयल्टी के ही बेच दी जाती है।
महीने भर में पकड़ी जाती है 500 से 600 ब्रॉस रेत
एक अनुमान के मुताबिक महीने भर में 500 से 600 ब्रॉस रेत प्रशासन द्वारा पकड़ी जाती है। बावजूद राजस्व विभाग को नाममात्र ही शुल्क प्राप्त होता। बाकी सब बंदर-बंाट हो जाता है।
प्रशासन को कर रहे गुमराह
ट्रक मालिक 24 घंटे की एक रॉयल्टी घाट से लेता है। रॉयल्टी पर रेत खाली करने का पता घाट से 250 से 300 किमी दूर का लिखता है, ताकि प्रशासन को गुमराह किया जा सके और उस रॉयल्टी को पूरे दिन इस्तेमाल करता है। अगर ट्रक पकड़ा भी गया, तो दूरी की रॉयल्टी दिखाकर छूट जाता है, जबकि उस रॉयल्टी पर दिनभर आस-पास के क्षेत्रों में चार-पांच ट्रिप लगाई जाती हैं। अब मामला आगे बढ़ता देख घाट मालिक से नई रॉयल्टी का इंतजाम कर प्रशासन के आंखों में धूल झोंकी जा रही है। रॉयल्टी मामले की बारीकी से जांच-पड़ताल की गई, तो घाट मालिकों से लेकर राजस्व अधिकारी की रेत चोरी में लिप्तता उजागर हो सकती है।
बचने के लिए पुरानी तारीख की रॉयल्टी का इस्तेमाल
जिले में अवैध रेत का स्टॉक पकड़े जाने पर जिसने रेत का स्टॉक किया है वो रेत घाट मालिकों से साठ-गांठ कर पुरानी तारीख की रॉयल्टी पेश कर बच निकलते हैं। इसमंे प्रशासन के अधिकारियों की भूमिका भी अहम होती है। प्रशासनिक लोग ही रेत माफियाओं को बढ़ावा देते हंै। अक्सर रेत स्टॉक पर कार्रवाई के बाद घटनास्थल पर ही पंचनामा किया जाता है। रेत जिसकी भी है, उसका पता लगाया जाता है।
पता नहीं लगने पर संबंधित अधिकारी जिस जगह पर रेत स्टॉक की गई उसके मालिक को नोटिस भेजता है। उसके बाद ही कार्रवाई को अंजाम दिया जाता है। कार्रवाई कुछ दिन से लेकर महीनों तक चलती है। इसी बीच अधिकारियों द्वारा मौके से जब्त की गई मशीन (पोकलेन, जेसीबी, ट्रैक्टर, ट्रक) को संबंधित थाने के सुपुर्द किया जाता रहा है, लेकिन जब्त रेत में से केवल खानापूर्ति के नाम पर कुछ रेत थाने में जमा की जाती है और शेष सेटिंग कर ठिकाने लगा देते हैं।
सेटिंग में गांव के मुखिया भी शामिल
सावनेर-पारशिवनी क्षेत्र के रेत घाट से रोजाना सैकड़ों रेत लदे ओवरलोड ट्रक निकलते हैं, जो खापा, सावनेर, पारशिवनी व खापरखेड़ा, कामठी थानों के सामने से बे-रोकटोक गुजरते हैं। बताया जा रहा है कि, ओवरलोड के लिए ट्रक मालिकों ने बाकायदा सबका हफ्ता निर्धारित कर रखा है। ओवरलोड वाहनों की अावाजाही से गांव के रास्ते दिन-ब दिन अपना अस्तित्व खोते जा रहे हैं। इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। खस्ताहाल सड़क की शिकायत करने पर गांव के मुखिया से सेटिंग कर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है। किसानों को भी भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है।
Created On :   7 Aug 2021 4:13 PM IST