‘जनप्रतिनिधि से होती है सम्मानजनक आचरण की अपेक्षा’

Expected respectable conduct from public representatives
‘जनप्रतिनिधि से होती है सम्मानजनक आचरण की अपेक्षा’
नगरसेवक को नहीं मिली जमानत ‘जनप्रतिनिधि से होती है सम्मानजनक आचरण की अपेक्षा’

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने कहा है कि निर्वाचित जनप्रतिनिधि से सम्मानजनक आचरण अपेक्षित है। यह बात कहते हुए हाईकोर्ट  ने मुंबई महानगरपालिका के सहायक इंजीनियर से गालीगलौच व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल अशोभनीय तरीके से करनेवाले नगरसवेक को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। मनपा के सहायक इंजीनियर ने वार्ड क्रमांक 164 से नगरसवेक हरीशभांदिर्गे के खिलाफ पुलिस  में शिकायत की थी।

शिकायत में इंजीनियर ने दावा किया था नगरसेवक ने उसे मां को लेकर गाली थी। यहीं नहीं नगरसेवक ने उसे फोन पर  कार्यालय आकरहमला करने की भी धमकी दी थी। इंजीनियर की शिकायत के आधार पर पुलिस ने नगरसवेक के खिलाफ भारतीय दंड  संहिता की धारा 353 व 506 के तहत मामला दर्ज किया था।  मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए नगरसेवक ने हाईकोर्ट  में अग्रिम जमानत आवेदन दायर किया था।

न्यायमूर्ति नीतिन सांब्रे के सामने आरोपी नगरसेवक के जमानत  आवेदन पर  सुनवाई हुई। इस  दौरान आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि मेरे मुवक्किल को इस  मामले में फंसाया गया  है। इस प्रकरण  को  लेकर जिन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है वह उनके खिलाफ  बनता ही  नहीं है। मेरे मुवक्किल ने इलाके के लोगों को पानी आपूर्ति ठीक से न होने को लेकर शिकायत की थी। जिसके चलते मेरे मुवक्किल ने इंजीनियर  से बात की थी। इसलिए मेरे मुवक्किल को जमानत प्रदान की जाए। वहीं सरकारी वकील ने आरोपी  की  जमानत का विरोध किया।  उन्होंने कहा कि आरोपी एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि है। ऐसे में उससे अच्छा आचारण करने  की अपेक्षा की जाती है। आरोपी ने शिकायतकर्ता के साथ अशिष्ट बरताव करते हुए उसके  खिलाफ गाली गलौच भरी भाषा का इस्तेमाल किया है। मामले से जुड़े दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने कहा कि शिकायतकर्ता(इंजीनियर) व आरोपी(नगरसेवक)  की कोई निजी दुश्मनी नहीं है।

शिकायतकर्ता आरोपी का कोई राजनीतिक  प्रतिद्वंदी नहीं है। ऐसे में आरोपी निर्वाचित जनप्रतिनिधि से अपना आचरण सम्मानजनक रखना अपेक्षित है। कानून सभी के लिए समान है। इस मामले से जुड़े तथ्य दर्शाते हैं कि आरोपी ने शिकायतकर्ता के  खिलाफ अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल किया है। यही नहीं आरोपी ने शिकायतकर्ता  को धमकाया  भी है। न्यायमूर्ति  ने कहा कि इस मामले में आरोपी से अपेक्षित  था कि वह अपना बडबोलापन दिखाने की बजाय मनपा के स्टाफ से जुड़ी परेशानी को समझता और समाधान निकालता। इस मामले में आरोपी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल अशोभनीय तरीके से किया है। प्रथम दृष्टया आरोपी के  खिलाफ सबूत  नजर आते हैं।  इसलिए आरोपी के  अग्रिम जमानत आवेदन  को खारिज  किया जाता है।

 

Created On :   16 Oct 2021 4:19 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story