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संतरानगरी नागपुर के आम का सिंगापुर में निर्यात

डिजिटल डेस्क, नागपुर। संतरानगरी नागपुर से सिंगापुर में आम का निर्यात किया जा रहा है। अब तक नागपुर से रत्नागिरी का 4000 टन हापुस आम का निर्यात किया जा चुका है। जल्द ही दुबई भी आम निर्यात शुरू किए जाने पर विचार किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि प्रतिवर्ष देश से विविध देशों को लगभग 50,000 टन आम का निर्यात किया जाता है, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन में निर्यात पूरी तरह से बंद रहा। इससे देश के निर्यातकों और किसानों को काफी नुकसान हुआ है। शहर में करीब 5 आम निर्यातक व्यापारी है, जो अन्य राज्यों से खरीदकर यहां पैकिंग करते हैं।
आम निर्यातक एडविन जोसेफ ने बताया कि पिछले साल कनाडा और यूएस को आम का निर्यात किया गया था। इस साल दुबई, मलेशिया, श्रीलंका को सैंपल भेजे थे। सिंगापुर को भी सैंपल भेजे गए थे, जहां से आर्डर मिला और अब तक लगभग 4000 टन आम का निर्यात किया जा चुका है। यह पहला अवसर है जब सिंगापुर को आम का निर्यात किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि 14 जून को लगभग 3000 टन हापुस आैर अल्फान्सों आम की खेप भेजी जाएगी। सिंगापुर से 8 से 10 हजार टन आम की मांग है, लेकिन लॉकडाउन के कारण बहुत सा आम खेतों मंे ही खराब हो गया। उन्होंने बताया कि अब विदेशों से काले अंगूर की भी मांग आ रही है। अगले सीजन में अंगूर का निर्यात किया जाएगा।
किसानों को मिलता है 120 रुपए प्रति किलो भाव
निर्यात करने के लिए महाराष्ट्र के रत्नागिरी और आंध्र प्रदेश के जिलों से आम खरीदा जाता है। निर्यात के कारण किसानों को भी बहुत अच्छा भाव मिलता है। जहां देश में बिक्री करने पर किसानों को 1 किलो आम के 25 से 30 रुपए मिलते हैं, वहीं निर्यातकों द्वारा उन्हें 120 रुपए प्रति किलो का भाव दिया जाता है। सिंगापुर में यह आम 800 रुपए प्रति किलो की दर से बेचा जाता है।
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ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।