RTI से खुलासा : ताक पर सूचना आयुक्त का आदेश, लटके 1174 मामले

Exposed from RTI : Neglected the order of Commissioner, 1174 cases are pending
RTI से खुलासा : ताक पर सूचना आयुक्त का आदेश, लटके 1174 मामले
RTI से खुलासा : ताक पर सूचना आयुक्त का आदेश, लटके 1174 मामले

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य सूचना आयुक्त (नागपुर बेंच) दिलीप धारुरकर के आदेश के बाद भी 1174 ऐसे मामले हैं, जिस पर संबंधित विभागों ने अमल नहीं किया था। राज्य सूचना आयुक्त ने ऐसे विभागों पर जुर्माना लगाने के साथ ही संबंधित अधिकारियों के सर्विस बुक में भी इसका उल्लेख किया। राज्य सूचना आयुक्त (नागपुर बेंच) ने दो साल में 6923 मामलों का निपटारा किया। 

ऐसी है व्यवस्था

सूचना अधिकार कानून 2005 के तहत संबंधित विभाग की जानकारी विभाग के अपील अधिकारी से मांगी जाती है। 30 दिन में सूचना नहीं मिलने पर उसी विभाग के प्रथम अपील अधिकारी के पास मामले की अपील की जाती है। यहां से भी सूचना नहीं मिलने या पूरी जानकारी नहीं मिलने पर राज्य सूचना आयुक्त के पास अपील की जाती है। जनवरी 2017 से अक्टूबर 2018 तक कुल 6923 मामलों का निपटारा किया गया। 1174 ऐसे मामले रहे, जिस पर अमल नहीं होने पर संबंधित विभाग व जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। 

नागपुर बेंच में मामले लंबित नहीं

सूचना आयुक्त धारुरकर ने कहा कि 2017 में 37 प्रकरणों में 2 लाख 45 हजार 5 सौ रुपए जुर्माना लगाया गया। एक केस का निपटारा 3 से 16 दिन में कर दिया जाता है, यही वजह है कि नागपुर बेंच में केसेस पेंडिंग नहीं रहती। आदेश का पालन नहीं करनेवाले विभागों पर जुर्माना, जिम्मेदार अधिकारी की विभागीय जांच, सर्विस बुक में इसका उल्लेख व जुर्माने की राशि जिम्मेदार अधिकारी के वेतन से काटने जैसी कार्रवाई की गई। 

...इसलिए महत्व

जहां प्रशासन ठहर जाता है, वहां से RTI शुरू होता है। उन्होंने कहा कि जहां प्रशासन ठहर जाता है, वहां से RTI शुरू होता है। RTI लोकतंत्र की सही व्याख्या करने वाला कानून है। RTI के माध्यम से अंतिम व्यक्ति भी जानकारी प्राप्त कर सकता है। इस दौरान राज्य सूचना आयुक्तालय के सुरेश टोंगे, नंदकुमार राऊत, सुबोध नंदागवली आदि उपस्थित थे। 

...इसलिए जानकारी नहीं दी

धारुरकर ने कहा कि आैरंगाबाद में आतंकवाद के मामले में सजायाफ्ता आरोपी को RTI के तहत जानकारी देने से मना कर दिया था। जानकारी का इस्तेमाल देश के खिलाफ भी हो सकता था। मेरे मानना है कि  आतंकी को RTI के तहत जानकारी नहीं देनी चाहिए। 

कोर्ट में विचाराधीन मामलों में RTI नहीं

उन्होंने कहा कि जो मामले काेर्ट में विचाराधीन है, उस संबंध में RTI के माध्यम से जानकारी नहीं दी जा सकती। पीड़ित चाहे तो कोर्ट से इसकी सर्टिफाइड कापी प्राप्त कर सकता है। इसी तरह देश की सुरक्षा व रक्षा विभाग से संबंधित जानकारी भी नहीं दी जा सकती।

FIR की चेतावनी के बाद मिल गई फाइल 

उन्होंने अधिकारियों की लापरवाही के उदाहरण बताते हुए कहा कि संबंधित व्यक्ति को जानकारी नहीं देने की वजह फाइल गुम होना बताया था। ऐसे दो मामलों में संबंधित व्यक्ति को जानकारी नहीं दी गई थी। जिम्मेदार अधिकारी पर FIR दर्ज करने की चेतावनी दी गई थी, जिसके बाद अगली तारीख पर फाइल मिल गई थी। जानकारी मांगने वाले के विवेक व उद्देश्य को भी ध्यान में रखना पड़ता है। 
 

Created On :   2 Dec 2018 5:47 PM IST

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