परिवार सर्वोपरि , मिला साथ कोरोना को दी मात

Family support is paramount, Corona gets beaten up
परिवार सर्वोपरि , मिला साथ कोरोना को दी मात
परिवार सर्वोपरि , मिला साथ कोरोना को दी मात

डिजिटल डेस्क, नागपुर।   सुख हो या दु:ख, यदि परिवार का साथ हो, तो हर मुसीबत का सामना किया जा सकता है और हर खुशी को एक-दूसरे से बांट कर उसे और बढ़ाया जा सकता है। कुछ ऐसी ही स्थिति कोरोना को मात देने में भी है। अगर आप में हिम्मत, जज्बा, उत्साह और साहस हो, तो कोरोना को मात देने कोई मुश्किल नहीं है। इसके लिए बेहतर माहौल, सकारात्मक सोच के साथ परिवार का साथ होना आवश्यक है। आज शनिवार को इंटरनेशनल-डे ऑफ फैमिलीज मनाया जा रहा है। इसे देखते हुए दैनिक भास्कर ने शहर के कुछ ऐसे परिवार से चर्चा की, जिसमें परिवार के लगभग सभी सदस्य पॉजिटिव थे, लेकिन एक-दूसरे का साथ और हौसला मिलने से कोरोना को ऐसे मात दी कि हंसते-खेलते सभी स्वस्थ्य होकर नई जिंदगी जी रही हैं।

9 में से 7 सदस्य हो गए थे पॉजिटिव
24 मार्च को हमारे परिवार के 9 में से 7 सदस्य पॉजिटिव हुए थे। सिर्फ ससुर जी और देवर की रिपोर्ट निगेटिव थी। सभी सदस्य होम आइसोलेशन में थे। पॉजिटिव सदस्य फर्स्ट फ्लोर में शिफ्ट हो गए थेे। घर की सभी महिलाएं सास, मैं और देवरानी पॉजिटिव थे। इस समय सुबह के नाश्ते से रात का खाना भी ससुर जी हमारे दरवाजे के बाहर रखकर जाते थे। कोरोना पॉजिटिव होने से रूम से बाहर नहीं निकल सकते थे। हमने कोरोना के प्रोटोकॉल को फॉलो किया। घर के छोटे बच्चे 11 महीने का भतीजा, 5 वर्ष की मेरी बेटी भी पॉजिटिव थे। दोनो घर में बहुत धमाल करते थे। सभी पॉजिटिव सदस्य घर में भी मास्क लगाते थे। एक-दूसरे का साथ मिलने से हमने कोरोना को कैसे  मात दे दी, पता ही नहीं चला। आज सभी स्वस्थ हैं। संयुक्त परिवार में रहने से कोरोना के समय दिक्कत नहीं हुई।    -सपना मोटवानी, सुभान नगर

परिवार के बिना मुश्किल था
मेरे परिवार में 11 सदस्य हैं। मां और बुआ वरिष्ठ नागरिक हैं। जब मैं पॉजिटिव हुआ, तो बहुत घबराहट हुई। पत्नी, बेटी ओर भाई की कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई। भाई की हालत बहुत खराब थी, इसलिए उसे हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा। घर में सीनियर सिटीजन हैं, इसलिए हमें चिंता थी। मां और बुआ ने हमारा ख्याल रखा। इम्यूनिटी बूस्टर चीजें हमें खाने को देती थीं। खाने-पीने का सामान कमरे के बाहर रख देती थीं। बहू और भाई की पत्नी घर संभालने के साथ ही बाहर का भी काम करती थीं। मुझे लगता है, अगर परिवार का साथ न होता, तो कोरोना को मात देना मुश्किल था। परिवार का साथ होने से यह लड़ाई हमने जल्द ही जीत ली।  -मदन अडकिने, वाठोड़ा
 

Created On :   15 May 2021 10:43 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story