गुरु के बिना नहीं सीखी जा सकती कला का बारीकियां : विधा लाल

Famous Kathak Dancer Vidha Lal comment on basic of dance
गुरु के बिना नहीं सीखी जा सकती कला का बारीकियां : विधा लाल
गुरु के बिना नहीं सीखी जा सकती कला का बारीकियां : विधा लाल

डिजिटल डेस्क, नागपुर। मशहूर कथक नृत्यांगना विधा लाल  कहती हैं कि आनलाइन कथक सीखने और यू-टयूब पर कथक देखकर  कला की बारीकियां नहीं सीखीं जा सकती। गुरु के चरण छुए बिना कथक का ज्ञान अधूरा है। शास्त्रीय नृत्य को बिना गुरु के सीखना असंभव है। जो बारीकियां गुरु सिखाते हैं, वो कोई तकनीक नहीं सिखा सकती है। उन्होंने कहा कि हालांकि  इंटरनेट के माध्यम से बहुत कुछ सीखा जा सकता है लेकिन सब कुछ नहीं। 

6 साल की उम्र से सीख रही हैं नृत्य
कथक नृत्यांगना विधा लाल ने बताया कि उनके पिता उमेश जोशी जर्नलिस्ट हैं। मुझे यह नृत्य विरासत में नहीं मिली है, लेकिन ससुराल पक्ष भारतीय शास्त्रीय नृत्य व गायन से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि वो 6 साल की उम्र से ही नृत्य सीख रही हैं। शादी से पहले भी वो अपनी गुरु गीतांजलि लाल से नृत्य की बारीकियां सीखती रहीं हैं और शादी के बाद भी। नृत्य के क्षेत्र में जयपुर घराने से संबंध रखने वाली विधा 56 देशों में कथक प्रस्तुत कर चुकी हैं। कथक में प्रयोग करने के बारे में विधा कहती हैं कि वे हमेशा नृत्य में प्रयोग करती रहती हैं। आज भी वह घंटों रियाज करती हैं। उन्हें पेंटिंग का भी शौक है। जब वह नृत्य करती हैं तब उन्हें आध्यात्मिक अनुभूति होती है। इसी अनुभव ने उन्हें इतने वर्षों तक नृत्य करते रहने के लिए प्रेरित किया है। परिवार और नृत्य को संतुलित करने के बारे में उन्होंने कहा कि उनका परिवार उन्हें हमेशा सहयोग करता है। उन्होंने 2011 में एक मिनट में कथक स्पिन (103) की संख्या में एक नंबर हासिल करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। 

विदेशी पसंद करते हैं शास्त्रीय नृत्य
भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत विदेशों में काफी लोकप्रिय है। 56 देशों में कार्यक्रम प्रस्तुत कर चुकीं विधा बताती हैं कि  लोग उनके पास आते हैं। कहते हैं कि वे उन्हें घुंघरू दे दें। विदेश में लाेग भारतीय संस्कृति को बहुत सराहते हैं।  हमारे नृत्य में इतनी सुंदरता, भाव-भंगिमाएं और वेशभूषा रहती है कि विदेशी इसे देखकर काफी प्रभावित होते हैं। भारतीय नृत्य का आध्यात्मिक तत्व उन्हें अपनी ओर खींचता है। रियलिटी शो के बारे में विधा ने कहा कि रियलिटी शो से प्रतिभाओं को मंच जरूर मिलता है, लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं। कथक भविष्य उज्ज्वल है। युवाओं के बीच इसे लोकिप्रय बनाने के लिए प्रयास जरूरी है।
 

Created On :   6 April 2018 2:42 PM IST

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