किसान ने मुफ्त में बांट दिए टमाटर, तुड़वाई से भी कम मिल रहा था बाजार में दाम

farmer distributed tomatoes in free of cast in chhindwara
किसान ने मुफ्त में बांट दिए टमाटर, तुड़वाई से भी कम मिल रहा था बाजार में दाम
किसान ने मुफ्त में बांट दिए टमाटर, तुड़वाई से भी कम मिल रहा था बाजार में दाम

डिजिटल डेस्क छिंदवाड़ा/ पांढुर्ना ।  भले ही प्रदेश सरकार खेती को लाभ का सौदा बनाने किसानों के लिए योजनाएं ला रही है, पर परिस्थितियां साथ नही देने से किसानों को लागत की भी भरपाई नही मिल रही है। शुक्रवार को ऐसे ही परिस्थितियों से परेशान ग्राम सिवनी के किसान भोला सरसे ने करीब आठ क्विंटल टमाटर पांढुर्ना शहर में लाकर बांट दिए। किसान भोला सरसे ने अपने खेत में लगी टमाटर की फसल में से करीब चालीस कैरेट टमाटर शुक्रवार बाजार होने के चलते बेचने के लिए पांढुर्ना लाए थे। पर निलामी में टमाटर के औने-पौने दाम लगने से परेशान किसान भोला ने फसल बेचने के बजाय लोगों में बांट दी।
                                           पीडि़त किसान भोला सरसे ने बताया कि करीब पौने दो एकड़ में टमाटर की फसल है। बीते नवंबर महीने में फसल लगाई थी, उम्मीद थी कि जनवरी महीने में रेट मिलेगे। पर जनवरी के साथ फरवरी और मार्च महीना भी बीत गया, पर टमाटर के दाम नही मिले। शुक्रवार को जब 40 कैरेट टमाटर शुक्रवार बाजार में बेचने लाए तो यहां खरीदारों ने बीस से तीस रूपए प्रति कैरेट के ही भाव लगाए। ऐसे में परेशान भोला ने टमाटर बेचने के बजाय लोगों को बांट देने का कदम उठाया। क्षेत्र के किसान गजानन रमधम, उल्हास काटवले, प्रकाश चौधरी, बंटी सरसे, हुकुमचंद पराडकर आदि किसानों का कहना है कि टमाटर के बजाय बैंगन और अन्य फसलों के भी यहीं हाल है।
अब तक सात लाख रूपए का नुकसान:

परेशान किसान भोला सरसे ने बताया कि टमाटर फसल में करीब सात लाख रूपए का नुकसान हो चुका है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को जो टमाटर लाए, उसे तोडऩे के लिए प्रति कैरेट 20 रूपए खर्च किए और 10 रूपए कैरेट का भाड़ा दिया। इसके अलावा छंटाई, ढुलाई के अलावा करीब चार महीने से फसल की देखरेख में हजारों रूपए खर्च कर दिए। भोला सरसे ने बताया कि टमाटर को तोड़कर फेंक भी नही सकते है, इससे कीड़े-मकोड़े पनपने का डर रहता है। वहीं जानवरों को भी ज्यादा नही खिलाया जा सकता।
छत्तीसगढ़ के टमाटर ने फिराया पानी: जानकारों ने बताया कि छत्तीसगढ़ में हो रहे टमाटर के भारी उत्पादन से पांढुर्ना क्षेत्र के टमाटर को बड़े शहरों में भाव नही मिल रहे है। नागपुर में भी पचास से सत्तर रूपए प्रति कैरेट के भाव मिल रहे है। जिसे भेजने में भाड़े की भरपाई भी नही हो रही है। छत्तीसगढ़ में किसानों ने पचास-पचास, साठ-साठ एकड़ में टमाटर की फसल लगाई है, जिसका उत्पादन लगातार हो रहा है। जिससे छत्तीसगढ़ और वहां के आसपास के शहरों में पांढुर्ना क्षेत्र के टमाटर की डिमांड नही हो रही है।

 

Created On :   6 April 2018 12:02 PM GMT

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