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केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों ने मनाया "विश्वासघात दिवस'

डिजिटल डेस्क, अमरावती। कृषि विरोधी तीन काले कानून रद्द करने सहित अन्य मांगों को लेकर किसानाें ने आंदोलन किया । किसानों द्वारा किए गए आंदोलन की तीव्रता को देखते हुए सरकार ने लिखित आश्वासन देकर आंदोलन समाप्त करने का आग्रह आंदोलनकर्ता किसानों से किया था। दिल्ली की सीमा पर शुरू आंदोलन सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन के बाद 11 दिसंबर को स्थगित किया गया। परंतु किसानों के साथ फिर एक बार विश्वासघात हुआ है। सरकार ने दिया लिखित आश्वासन पूरा नहीं किया। इसलिए देश के किसानों ने सोमवार 31 जनवरी को विश्वासघात दिवस मनाने का निर्णय लिया था। इसके तहत अमरावती जिले में भी किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया। तीव्र संघर्ष के बाद भी सरकार ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है।
प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री ने एक समिति नियुक्त करने की घोषणा की थी। परंतु अब तक सरकार ने कोई समिति नहीं बनाई और ना ही किसानों को समिति का स्वरूप और आदेश के बारे में जानकारी दी। इसलिए किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर जिलाधिकारी कार्यालय के सामने विश्वासघात दिवस मनाते हुए केंद्र सरकार का निषेध किया। सरकार द्वारा यदि किसानों के साथ ऐसा ही विश्वासघात करने पर फिर से आंदोलन करने के अलावा किसानों के समक्ष कोई विकल्प नहीं रहेगा। इस बारे में किसानों ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भिजवाकर किसानों की स्थिति के बारे में अवगत कराया। जिलाधिकारी कार्यालय के सामने किए गए आंदोलन में अशोक सोनारकर, महेश देशमुख, रोशन अर्डक, अशोक राऊत, नीलकंठ ढोके, गणेश मुंदरे, नंदू नेतनवार, अतुल वानखडे, इंद्रजीत हलदार, गोपाल सोलंके, प्रियंक मुधरे, हिमांश अतकरे, रमेश सोनवले, वैभव सरोदे सहित किसान बडी संख्या में शामिल हुए।
Created On :   1 Feb 2022 1:11 PM IST