सिंचाई के अभाव में खेती की समस्या से जूझ रहे किसान

Farmers facing the problem of farming due to lack of irrigation
सिंचाई के अभाव में खेती की समस्या से जूझ रहे किसान
मेलघाट सिंचाई के अभाव में खेती की समस्या से जूझ रहे किसान

डिजिटल डेस्क, धारणी (अमरावती)।  कृषि प्रधान क्षेत्र के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मेलघाट क्षेत्र में 12 महीने सिंचाई सुविधा न होने से किसानों के सामने खेती समस्या खड़ी होने की बात प्रकाश में आ रही है। जिप के मृद व जलसंधारण विभाग की अनदेखी के चलते मेलघाट के किसानों पर संकट आ गया।  मेलघाट के धारणी व चिखलदरा दोनों तहसील में भरपूर नैसर्गिक संपत्ति है। यहां का माहौल खेतीपूरक माना जाता है किंतु पिछले कुछ वर्षों से यहां के किसानों को 12 महीने खेती के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध न होने के कारण यहां के किसान संकट में घिर गए हैं। वहीं, दूसरी ओर संबंधित जिप मृद व जलसंधारण विभाग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले तालाब नियोजन के अभाव में सूखने से किसान चिंतित हैं। मेलघाट से बहने वाली प्रमुख नदियां तापी, सिपना, गडगा, डबाल, मधुवा, कोकरी, खंडू, तापडा, तलवार आदि नदियांे से पहले सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता था किंतु पर्यावरण में हुए बदलाव के कारण ग्रीष्मकाल शुरू होने के पहले ही महीने में सभी नदियांे का पानी सूखने के कारण िसंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होता है। धारणी में सिंचाई व्यवस्था के लिए मृद व जलसंधारण तथा सिंचाई लघु सिंचाई विभाग पर जिम्मेदारी सौंप दी है। इन विभाग अंतर्गत कुल 14 सिंचाई तालाब है। जिनमें से कुछ तालाब 40 वर्ष से 50 वर्ष पुराने है।  किंतु वर्तमान स्थिति में यह सभी 14 तालाब किसी भी काम के नहीं दिखाई दे रहे हैं।

मानसून शुरू होते ही यह तालाब जल्द ही भर जाते हैं और मानसून खत्म होने के बाद तालाब का जलस्तर उतने ही तेजी से कम होने लगता है। तालाब का पानी जल्द सूखने का एकमात्र कारण तालाब में हजारों ब्रॉस मलबा जमा होना बताया गया है। स्थानीय किसानों का कहना है मलबा निकालने की जरूरत है किंतु कई वर्षों से इन तालाबों की देखभाल दुरुस्ती के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। गंभीर बात यह है कि अधिकांश तालाब में बड़ी मात्रा में मलबा जमा होने से इन तालाब में जलसंग्रह के लिए जगह नहीं होने के कारण ग्रीष्मकाल शुरू होते ही पहले ही महीने में इन तालाबों को  मैदान का स्वरूप मिल जाता है। अब इन तालाबों को खेत सिंचाई के लिए फिर से सक्षम बनाने सभी तालाबों से मलबा निकालने के विशेष प्रक्रिया अमल में लाने की सख्त जरूर है। पिछले कुछ वर्षों में मनरेगा अंतर्गत गाद निकालने का काम किया गया था। किंतु तालाब से निकले गाद को डंपिंग अथवा किसानों के खेत तक ले जाने की व्यवस्था न रहने से आवश्यक प्रमाण में गाद निकालना संभव नहीं हुआ। जिससे आज सभी तालाब मात्र सफेद हाथी बनकर रह गए हैं। वह सिंचाई के लिए उपयुक्त साबित नहीं होने से किसानों के सामने रबी की फसल लेते समय संकट निर्माण हो रहा है। इस कारण इन तालाबों से गाद निकाल कर मेलघाट के सभी तालाबों को पुनर्जीवित करने की मांग की जा रही है। 
 

Created On :   16 May 2022 12:59 PM IST

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