किसानों के हाथ खाली, मालामाल हो रहे व्यापारी

Farmers hands empty, traders getting rich
किसानों के हाथ खाली, मालामाल हो रहे व्यापारी
धान खरीदी किसानों के हाथ खाली, मालामाल हो रहे व्यापारी

 डिजिटल डेस्क, गोंदिया । धान उत्पादक किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने के उद्देश्य के साथ केंद्र सरकार द्वारा घोषित समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी के लिए शासकीय धान खरीदी केंद्र शुरू किए जाते हैं। लेकिन खरीदी करने वाली संस्थाओं एवं व्यापारियों की मिलीभगत के चलते इसका लाभ आम किसानों तक नहीं पहुंच पाता। इसके फलस्वरूप धान खरीदी का हाल यह है कि अभी भी जिले में मंजूरी प्राप्त 70 प्रतिशत धान खरीदी केंद्र शुरू नहीं हो पाए हैं। इसमें जितना विलंब होगा उतना ही व्यापारियों के लिए लाभदायक है। धान खरीदी योजना मंे हो रही हेराफेरी के चलते इस योजना का लाभ किसानों के बजाय केवल व्यवसायी उठा रहे हैं। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए कुछ मुद्दों पर बारीकी से ध्यान देने की आवश्यकता है। जैसे जिले में धान खरीदी यदि निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 1 नवंबर से शुरू हो जाती तो अब तक लाखों क्विंटल धान शासकीय केंद्रों पर खरीद लिया जाता एवं इसका लाभ सीधा किसानों को मिलता। लेकिन किसी न किसी वजह से यह धान खरीदी अब तक भी पुरी तरह शुरू नहीं हो पाई। जिसके चलते अब तक 60 प्रतिशत से अधिक छोटे एवं मध्यम किसान व्यापारियों को अपना धान बेच चुके है। जो शासकीय दर से 200 से 300 रुपए प्रति क्विंटल कम दाम से खरीदा गया। व्यापारियों ने किसानों का धान खरीदते समय ही उनसे उनके सातबारा प्रमाणपत्र अपने पास लेकर रख लिए है। 

अब जैसे ही सभी धान खरीदी केंद्र शुरू हो जाएंगे तो शुरूआत में तो वहां बड़े किसानों का धान बिक्री होता दिखाई देगा, लेकिन कुछ दिनों बाद ही तेजी से धान खरीदी शुरू होने पर किसानों के सातबारा पर व्यापारियों की मालकीयत का धान बेचा जाएगा एवं संस्था संचालक भी सातबारा की बारीकी से जांच न करते हुए उन्हीं सातबारा पर खरीदी दर्शा देंगे। यह सब केंद्र संचालकों की मिलीभगत से ही संभव होता है।  व्यापारियों द्वारा किसानों से उनका धान समर्थन मूल्य से कम दाम पर खरीदकर रख लिया जाता है और इसी समय किसानों से उनके सातबारा प्रमाणपत्र मांग लिए जाते है। इसके लिए उन्हें यह लालच भी दिया जाता है कि सातबारा पर जो बोनस मिलेगा उसमें आधा हिस्सा किसान का होगा। किसान भी बिना कुछ किए आधा बोनस मिलने की बात से खुश होकर व्यापारियों को सातबारा दे देते है। धान की बिक्री की राशि सीधे किसानों के खाते में जमा होती है। इसीलिए किसानों से धान खरीदने वाले व्यवसायी धान खरीदते समय ही सातबारा के साथ किसानों से उनके बैंक खातों की पासबूक एवं विड्राल फार्म पर हस्ताक्षर करवाकर ले लेते है। इससे धान के बिक्री की राशि सीधे उन्हें सरलता से मिल जाती है। 
 

Created On :   25 Nov 2022 9:12 AM GMT

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