एक वर्ष में 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को किसानों ने बनाया खेती के काबिल

Farmers made an area of 47 thousand hectares capable of cultivation in a year
एक वर्ष में 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को किसानों ने बनाया खेती के काबिल
खेती-किसानी एक वर्ष में 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को किसानों ने बनाया खेती के काबिल

डिजिटल डेस्क, अमरावती।  बढ़ते शहरीकरण के साथ ही खेतीयुक्त जमीन की संख्या भी घटती जा रही है लेकिन पिछले एक वर्ष में किसानों द्वारा अनुपयोगी जमीनों पर कड़ी प्रक्रिया कर उसे खेती के लिए उपयुक्त बनाने का काम किया है। जिस कारण जिले में 47 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नए खेती क्षेत्र तैयार हुए हैं। जिला कृषि कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार कृषि समृद्धि योजना के तहत किसानों को दिए गए प्रशिक्षण व जमीन के संदर्भ में किए गए जनजागरण के परिणाम स्वरूप यह नतीजे सामने आए हैं। 

वर्ष 2021 खरीफ सीजन के दौरान अमरावती जिले में 113 प्रतिशत बुआई दर्ज की गई थी। इस समय जिले में कुल बुआई क्षेत्र 8 लाख 74 हजार 918 हेक्टेयर दर्ज किया गया था लेकिन अचलपुर, अमरावती, नांदगांव खंडेश्वर, धामणगांव रेलवे इन तीन तहसीलों के 1900 से अधिक किसानों ने अपने पास पड़ी अतिरिक्त अनुपयोगी जमीनों को कृषि विभाग द्वारा दी गई सूचनाओं के आधार पर खेती के लिए विकसित करना शुरू किया है। जमीन की खुदाई कर मिट्टी को खेतीयुक्त बनाया गया। इसमें कृषि कार्यालय की ओर से भी किसानों को हर संभव सहायता दी गई है। जिसके परिणाम के तौर पर इन चार तहसीलों में यह बढ़ोत्तरी देखी गई है। अमरावती-धामणगांव, नांदगांव खंडेश्वर, अचलपुर के अलावा कृषि विभाग, दर्यापुर, चांदुर बाजार, मोर्शी और वरुड़ तहसीलों में भी किसानों के साथ मिलकर उपयोग में न आने वाली जमीनों को खेती के लिए विकसित करने का काम कर रहा है। जिससे जल्द ही कुछ अतिरिक्त जमीनों को खेती की प्रक्रिया में शामिल कर लिया जाएगा। आगामी खरीफ सीजन के दौरान जिले में 9 लाख हेक्टयर क्षेत्र के अधिक जमीन पर बुआई होने की संभावना है। 

कैसे होती है प्रक्रिया
गांवों में खाली पड़ी जमीनों का घेराव कर मिट्टी को खोदा जाता है। इसके बाद पूरे क्षेत्र में पानी का छिड़काव करने के बाद जमीन के नर्म होते ही किसान या तो स्वयं या फिर जेसीबी के माध्यम से तीन फीट तक मिट्टी की खुदाई करते हंै और जमीन में धसे पत्थरों व अन्य चीजों को बाहर निकाला जाता है। साथ ही जमीन पर जैविक खाद का छिड़काव कर प्राथमिक तौर पर यहां अल्पकालिक फसलें उगाई जाती हैं। फसल प्राप्त होने के बाद फसल की गुणवत्ता के साथ ही मिट्टी को कृषि प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा जाता है। प्रयोगशाला की जांच में जमीन की उपजाऊ क्षमता औसत या उससे बेहतर मिलने पर जमीन को खेती के लिए उपयुक्त क्षेत्र घोषित किया जाता है।

Created On :   24 Feb 2022 6:32 PM IST

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