किसानों से निपटने बॉर्डर पर है कुछ ऐसी तैयारी, विरोध की आग के बीच सरकार ने अन्नदाता के खाते में ट्रांसफर किए 18 हजार करोड़ रुपए

farmers protest kisan andolan latest update 
किसानों से निपटने बॉर्डर पर है कुछ ऐसी तैयारी, विरोध की आग के बीच सरकार ने अन्नदाता के खाते में ट्रांसफर किए 18 हजार करोड़ रुपए
किसानों से निपटने बॉर्डर पर है कुछ ऐसी तैयारी, विरोध की आग के बीच सरकार ने अन्नदाता के खाते में ट्रांसफर किए 18 हजार करोड़ रुपए

डिजिटल डेस्क (नई दिल्ली)।  दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा बल तैनात किया गया है। सुरक्षा बल को देख लगेगा कि जैसे किसी युद्ध की तैयारी की जा रही है। दूसरी तरफ, 23 दिसंबर को किसान दिवस पर किसानों के खाते में पैसे ट्रांसफर नहीं किए। वो अब 25 दिसंबर को दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और भाजपा नेता की जयंती किए जा रहे हैं। राजनीति किसानों के साथ कौन कर रहा है, यह उस अन्नदाता को पता ही नहीं है। वह तो अपनी लड़ाई कड़कड़ाती ठंड में पिछले 30 दिनों लड़ रहा है। वो अपने 40 किसान भाइयों को भी इस आंदलोन की वजह से खो चुका है। लेकिन सरकार अपनी जिद पर कायम है। 

 
विरोधी पार्टियों का कहना है कि किसान सम्मान निधि के रुप में 18 हजार करोड़ रुपए की राशि किसानों के खाते में ट्रांसफर की जा रही है, ताकि देश के अन्य राज्यों में किसान आंदलोन की आग ना फैले। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी को कृषि कानूनों में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, जिसे सरकार नकार चुकी है। सरकार कह रही है एमएसपी खत्म नहीं होगी, लेकिन इस पर कानून नहीं बनाएंगे। इस बीच किसानों को आतंकवादी घोषित करने से लेकर पिज्जा क्यों खा रहे हैं, ऐसे मुद्दे भी उछाले जा रहे हैं। दरअसल, किसान आंदोलन के दौरान पिज़्ज़ा लंगर लगाया गया, जिसके लिए लोगों ने किसानों की खूब आलोचना की। 


देशभर के कई किसान संगठनों के बैनर तले हजारों किसान नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर पिछले एक महीने से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस लगातार  किसानों के समर्थन में हल्ला बोल रही है। मध्यप्रदेश कांग्रेस के द्वारा मोदी सरकार के तीन काले कृषि क़ानूनों के विरोध में 28 दिसंबर 2020 को मध्यप्रदेश विधानसभा का घेराव किया जाएगा।  

सरकार लगातार यह जताने की कोशिश कर रही है कि किसानों से बातचीत के प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन कृषि बिल वापस नहीं होगा। सरकार का कहना है कि किसानों के मुद्दों को हल करने के लिए वह गंभीर है। भाजपा सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि मिनिमम सपोर्ट प्राइज से जुड़ी कोई भी नई मांग जो नए कृषि कानूनों के दायरे से बाहर है, उसे बातचीत में शामिल करना तर्कसंगत नहीं होगा।

इस बीच हरियाणा सरकार में भाजपा के सहयोगी और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने अलग स्टैंड लिया है। उनका कहना है कि कानूनों में कई संशोधन किए जाने जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि हमने पहले भी सरकार को कई सुझाव दिए थे और वे भी इनमें से कई बदलावों के लिए राजी हैं। वहीं, किसानों ने सरकार के पिछले न्योते को ठुकरा दिया है और कहा है कि सरकार के प्रपोजल में दम नहीं, नया एजेंडा लाएं तभी बात होगी।

 

Created On :   25 Dec 2020 6:14 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story