किसानों की मांगों का समर्थन करने वाली शिवसेना किसान रैली से नदारद

Farmers supporter Shiv sena absent from agitation in delhi
किसानों की मांगों का समर्थन करने वाली शिवसेना किसान रैली से नदारद
किसानों की मांगों का समर्थन करने वाली शिवसेना किसान रैली से नदारद

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अखिल भारतीय किसान समन्वय संघर्ष समिति के बैनर तले राष्ट्रीय राजधानी के संसद मार्ग पर शुक्रवार को हुई किसानों की ऐतिहासिक रैली से शिवसेना नदारद रही। हालांकि शिवसेना का समिति द्वारा उठाई जा रही किसानों से संबंधित सभी मांगों को समर्थन हासिल है, लेकिन बदलती राजनीतिक परिस्थिति में उसने इस रैली से दूरी बनाना बेहतर समझा। यह माना जा रहा है कि BJP के दबाव के चलते शिवसेना रैली में शामिल नही हुई है। शिवसेना के सांसद अरविंद सांवत का कहना है कि इस रैली में अगर पार्टी की ओर से कोई मौजूद नही रह पाया तो इसका मतलब यह नही कि उसका किसानों की मांगों को समर्थन नही है। महाराष्ट्र में हाल में निकाले गए किसान मोर्चे को सबसे पहले समर्थन शिवसेना ने ही दिया है।

रैली से दूरी बनाने के सवाल पर उन्होने बचते हुए कहा कि फिलहाल कई राज्यों में चल रहे चुनाव के अलावा राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर पार्टी आंदोलित है। इन व्यस्तताओं को चलते रैली में पार्टी की ओर से कोई मौजूद नही रहा होगा। BJP के दबाव का कोई सवाल ही नही उठता। गौरतलब है कि इससे पहले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेताओं के आवाहन पर सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों ने संसद मार्ग पर समिति द्वारा आयोजित किसान मुक्ति संसद में हिस्सा लेकर जोरदार समर्थन किया था। इसमें शिवसेना की ओर से सांसद अरविंद सावंत मौजूद थे।

इतना ही नही समिति द्वारा बनाए गए किसानों की पूर्ण कर्ज माफी और फसलों के लिए सुनिश्चित लाभकारी मूल्य अधिकार बिलों को पारित कराने के लिए समर्थन जुटाने के लिए बुलाई गई बैठक में भी शिवसेना शामिल थी। गुरुवार से देशभर के विभिन्न हिस्सों से राजधानी में इकठ्‌ठा हुए हजारों किसान यहीं मांग कर रहे है कि उन्हे राम मंदिर या राम मूर्ति नही बल्कि कर्ज माफी और अपने उत्पादों का लाभकारी मूल्य चाहिए। जबकि शिवसेना की प्राथमिकता में फिलहाल राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा दिखाई दे रहा है।  

किसान मुक्ति मार्च में किसानों ने भरी हुंकार

संसद मार्ग पर शुक्रवार को हजारों की संख्या में पहुंचे किसानों ने अपनी दो प्रमुख मांगों के लिए जोरदार हुंकार भरी। किसानों ने कहा कि उन्हे राम मंदिर या राम मूर्ति नही बल्कि कर्ज माफी और अपने उत्पादों का लाभकारी मूल्य चाहिए। स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने कहा कि पहली बार देश का किसान इतने बड़े पैमाने पर इकठ्‌ठा हुआ है। राजनीतिक दलों को किसानों की ताकत का अब ऐहसास हो गया है और अब वे सोचने पर मजबूर हुए है कि किसानों की मांगों को तवज्जो दिए बगैर अपनी नैया पार नही हो सकेगी। यादव ने कहा कि पार्टी चाहे कोई भी हो वह अगर 2019 का चुनाव किसानों के मुद्दे पर लड़ती है तो हमारा उसे समर्थन है। हिन्दू-मुसलमान मुद्दे के बजाय जवानों और किसानों के मुद्दे पर चुनाव लड़ा जाए तो देश का भला नही हो सकेगा।

स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के अध्यक्ष राजू शेट्‌टी ने कहा कि जिस तरह से किसानों ने अपना संघर्ष जमीन पर लाया है उसे देखकर सत्तापक्ष के साथ विपक्षी दलों को भी यह समझ लेना चाहिए कि किसानों के मुद्दे को दरकिनार करके नही चलेगा। शेट्‌टी ने कहा कि हमारी मांगों में से एक प्रमुख मांग संसद का विशेष सत्र बुलाने की है। BJP सरकार अगर ऐसा करती है तो देश में यह संदेश जाएगा कि BJP किसानों के समर्थन में है। नही तो हमारा संघर्ष आगे जारी रहेगा। उन्होने बताया कि आगे की रणनीति तय करने के लिए समिति शीघ्र ही एक बैठक करेगी।

राकांपा प्रमुख शरद पवार ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि मनमोहन सरकार के दौरान कृषि क्षेत्र से संबंधित जितने काम हुए है उतने मौजूदा सरकार के कार्यकाल में नही हुए है। देश के किसानों की स्थिति बदलने की जरुरत है, लेकिन जिनके कंधो पर यह जिम्मेदारी है उन्हे इनकी कोई चिंता नही है।

किसानों का सम र्थन करने पहुंचे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने वादा किया था कि एमएसपी बढाई जायेगी, लेकिन यह भी सरकार पूरा नही कर पायी। किसान कर्जमाफी की ही मांग कर रही है। उन्हे जहाज नही चाहिए। सीपीएम महासचिव सिताराम येचुरी ने कहा कि किसानों के दोनों बिलों को पार्टी का सम र्थन है और इसके लिए संसद के अंदर और सड़क पर भी लड़ाई लडेंगे। रैली में भाकपा नेता डी राजा, टीएमसी सांसद दिनेश द्विवेदी सहित दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपने वक्तव्य में मोदी सरकार को किसान विरोधी बताया।

Created On :   30 Nov 2018 4:54 PM GMT

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