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नागपुर में पिता ने अपने लिवर का हिस्सा आठ साल की बेटी को किया डोनेट

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नागपुर में पहली बार आठ साल की बच्ची का सफल लिवर प्रत्यारोपण किया गया। बच्ची को विल्सन नाम की बीमारी थी। पिछल तीन हफ्ते से उसे पीलिया, पेट में पानी भरने की भी समस्या थी। वह निजी अस्प्ताल में भर्ती थी। इस बीमारी में लिवर प्रभावित होता है, कभी-कभी काम करना बंद कर देता है। ऐसी स्थिति में एकमात्र उपाया लिवर प्रत्यारोपण रहता है। आठ साल की बच्ची को उसके पिता के लिवर का हिस्सा लगाया गया। बच्ची और डोनर पूरी तरह स्वस्थ हैं।
दशहरे की रात 12 घंटे चली सर्जरी
नागपुर स्थित न्यू एरा अस्पताल में ग्रीष्मा शंभरकर नामक एक बच्ची पर सफल लिवर प्रत्यारोपण किया गया। बच्ची का लिवर प्रत्यारोपण करने की जरूरत थी। बच्ची के पिता डॉ. राहुल सक्सेना से मिले और लिवर डोनर ढूंढने के लिए कहा। पिता की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए पिता ने अन्य सहयोगियों की मदद से रकम जमा की और अस्पताल ने भी कम से कम पैसों में ऑपरेशन करने का फैसला लिया। दशहरे की रात 12 घंटे सर्जरी की गई, जिसमें पिता के लिवर का बायां हिस्सा बच्ची के शरीर में प्रत्यारोपित किया गया। यह सर्जरी डॉ. राहुल सक्सेना के नेतृत्व में हॉस्पिटल की टीम ने की। न्यू एरा हॉस्पिटल को लिवर प्रत्यारोपण का लाइसेंस मिलने के बाद ये 30वां सफल यकृत प्रत्यारोपण है। डोनर को पांच दिन में डिस्चार्ज कर दिया गया। ग्रीष्मा अच्छी स्थिति में है और मंगलवार तक हॉस्पिटल रहेगी।
यह जटिलता रही
लिवर प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. राहुल सक्सेना ने बताया कि, बच्चों में लिवर प्रत्यारोपण का ऑपरेशन तकनीकी तौर पर ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि उनमें खून और पित्त की नसें काफी छोटी होती हैं। बच्चों का वजन कम होने की वजह से उनको लम्बे समय तक बेहोश रखना भी जटिल प्रक्रिया है। ऑपरेशन के पहले डोनर लिवर का थ्री डी मॉडल बनाकर उसका अध्ययन किया। इस टीम में डॉ. साहिल बंसल और डॉ. दिनेश बाबू भी शामिल थे। ऑपरेशन के बाद बच्ची की आईसीयू देखभाल में डॉ. स्वप्निल भिसीकर, डॉ. विवेक चरड़े, डॉ. अमोल कोकस और डॉ. शशांक वंजारी शामिल थे। यह प्रक्रिया हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. आनंद संचेती, डॉ. नीलेश अग्रवाल और डॉ. निधीश मिश्रा के मार्गदर्शन में हुई।
Created On :   3 Nov 2020 4:14 PM IST