सरकारी दफ्तरों में दबी रहती हैं फाइलें , कोर्ट में याचिकाओं का ढेर

Files are buried in government offices, a plea of ​​petitions in court
सरकारी दफ्तरों में दबी रहती हैं फाइलें , कोर्ट में याचिकाओं का ढेर
सरकारी दफ्तरों में दबी रहती हैं फाइलें , कोर्ट में याचिकाओं का ढेर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी कार्यालयों द्वारा लंबित फाइलों पर फैसला लेने में देरी के कारण लोग न्याय की आस में अदालतों का दरवाजा खटखटाते हैं। इससे न केवल हाईकोर्ट में रिट याचिकाओं की संख्या बढ़ जाती है, बल्कि इनकी सुनवाई और आदेश जारी करने में न्यायपालिका का एक बड़ा वक्त निकल जाता है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सरकारी कार्यालयों की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए यह टिप्पणी की है। न्या.नितीन जामदार व न्या.अनिल किल्लोर ने अनुकंपा नियुक्ति का प्रस्ताव 23 मार्च 2016 से लंबित रखने वाले माध्यमिक शिक्षाणाधिकारी नागपुर के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए हैं। 

इस प्रकरण पर टिप्पणी
 दरअसल, सुनीता सांगडीकर के पति शिक्षा संस्था में कार्यरत थे। पति के निधन के बाद उन्होंने अनुकंपा नियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजा। 23 मार्च 2016 को प्रस्तुत इस प्रस्ताव पर अब तक माध्यमिक शिक्षा अधिकारी ने फैसला नहीं लिया। ऐसे में सांगडीकर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में आरोप है कि लॉकडाउन में शिक्षाधिकारी ने उनके जैसे ही अन्य मामले में  अनुकंपा नियुक्ति दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि प्रदेश में लागू सेवा शर्तों के तहत सरकारी अधिकारियों को अपना कर्तव्य पूरी मेहनत और तत्परता से निभाना चाहिए। 

नियम है कि सरकारी दफ्तर में कोई भी फाइल 7 दिन से ऊपर पेंडिंग नहीं रखी जा सकती। विशिष्ट कारण हो तब ही 7 दिन से ज्यादा का समय लग सकता है। महाराष्ट्र प्रशासकीय सेवा अधिनियम धारा 10 (2) के तहत यदि कोई अधिकारी जान-बूझ कर फाइल रोक रहा है तो उस पर विभागीय जांच का प्रावधान है। ऐसे में हाईकोर्ट ने इस मामले को शिक्षा उपसंचालक के पास भेज कर उन्हें जांच करने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट ने उन्हें 4 माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। मामले में याचिकाकर्ता की ओर से एड.प्रशांत शेंडे ने पक्ष रखा। 
 
 

Created On :   12 Feb 2021 10:01 AM IST

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