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विधानमंडल के पहले ही दिन सदन में विपक्ष का हंगामा

डिजिटल डेस्क, मुंबई। सोमवार से शुरू हुए विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के पहले दिन से विपक्ष ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है। विधानमंडल की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्षी दलों कांग्रेस-राकांपा के विधायकों ने सदन की सीढ़ियों पर बैठ कर सरकार विरोधी नारे लगाए। विपक्षी विधायक वाह रे फडणवीस तेरा खेल, सस्ती दारू मंहगा तेल" के नारे लगाए। सूखा, मराठा, धनगर, मुस्लिम आरक्षण को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने वाला है। इसकी झलक पहले दिन ही देखने को मिली। सत्ताधारी शिवसेना के मराठा विधायको ने भी विधान भवन परिसर में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर नारेबाजी की। ये विधायक मराठा आरक्षण की मांग वाले पोस्टर पहनकर विधान भवन पहुंचे। एमआईएम के दोनों विधायक भी मुस्लिम आरक्षण की मांग वाले पोस्टर लेकर विधान भवन पहुचे जिस पर लिखा था कि हमे भी जश्न मनाने की तारीख बताये। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि मराठा समाज 1 दिसंबर को जश्न मनाने की तैयारी करे।
धुले के भाजपा विधायक अनिल गोटे फिलहाल इस्तीफा नहीं देंगे। मुख्यमंत्री से साढ़े तीन घंटे हुई चर्चा के बाद गोटे ने इस्तीफा न देने का फैसला किया है। इसके पहले उन्होंने 19 नवंबर को विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने की बात कही थी। सोमवार को विधानभवन पहुंचे गोटे ने कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मेरी दोनों शर्तें मान ली हैं। उन्होंने आश्वाशन दिया है कि पार्टी में अपराधियों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा और धुले मनपा चुनाव पार्टी मेरे नेतृत्व में लड़ेगी। भाजपा विधायक ने कहा कि यदि फिर से मेरे साथ धोखा हुआ तो फिर आक्रामक रुख अख्तियार करूँगा।
विपक्ष ने मुख्यमंत्री को प्रवेश द्वार पर रोका
सोमवार को महाराष्ट्र विधानमंडल का शीतसत्र शुरू होते ही विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। प्रवेश द्वार पर धरना देने बैठ गए , जिससे शीतसत्र के पहले ही दिन मुख्यमंत्री का स्वागत विपक्ष के प्रवेश द्वार पर रोकने से हुआ। विपक्ष ने सरकार पर सवालों की झड़ी लगाने की तैयारी कर रखी है लेकिन सरकार भी विपक्ष का जवाब देने के लिए तैयार नजर आ रही है। बता दें कि इस बार शीतसत्र में 13 नए विधेयक पेश किए जाएंगे। जबकि विधान परिषद में लंबित 2 और विधानसभा में लंबित 8 विधेयकों को मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा।
सरकार ले सकती है बड़ा फैसला
दोनों सदनों की कामकाज सलाहकार समिति की बैठक में दो सप्ताह के कामकाज को अनुमति प्रदान की गई है। हालांकि विपक्ष का आरोप है कि जनहित से जुड़ी समस्याओं पर बहस से बचने के लिए राज्य सरकार ने केवल दो सप्ताह का सत्र बुलाया है। विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने इस पर आपत्ति जताई है। अनुमान लगाया जा रहा है कि किसानों को लेकर विपक्ष के आक्रामक तेवर व हालात को देखते हुए इस बार राज्य के सूखाग्रस्त क्षेत्रों को लेकर सरकार कोई बड़ा फैसला ले सकती है।
Created On :   19 Nov 2018 1:02 PM IST