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मेडिकल साइंस में चमत्कार, अब जन्म से बहरे बच्चों को भी मिलेगी सुनने की शक्ति

डिजिटल डेस्क जबलपुर। जन्म से श्रवण बाधित 3 साल की प्रतिभा अब सामान्य बच्चों की तरह सुन सकेगी यह संभव हो सका है मेडिकल कॉलेज में पहली बार कॉक्लीयर इम्प्लांट सर्जरी करने से । इस सर्जरी में एक छोटा सा यंत्र आपरेशन के माध्यम से मरीज के कान में लगया जाता है जो कि श्रवण स्नायु से जुड़ा होता है। यह स्नायु को सक्रिय कर ध्वनि तरंगों को बढ़ाता है, जिससे बच्चा सामान्य की तरह उन्हें सुन सकता है। यंत्र की कीमत करीब से 6से 7 लाख रूपये के बीच है ।
नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में पहली बार श्रवण बाधित बच्चों के लिए कॉक्लीयर इम्प्लांट सर्जरी शुरू हुई। कॉलेज के ईएनटी विभाग द्वारा पहली सर्जरी जन्म से मूक बधिर 3 साल की प्रतिभा नाम की बच्ची की की गई। एचओडी डॉ. कविता सचदेवा ने बताया कि प्रदेश में यह दूसरा मेडिकल कॉलेज है जहां यह सर्जरी हुई है। इसमें लगने वाला इम्प्लांट काफी महँगा होने के कारण विभाग इसे नि:शुल्क करने में असमर्थ था।
डॉ. सचदेवा ने बताया कि इसके लिए भारत सरकार की एडिप योजना के तहत कॉलेज को मनोनयित कराया गया। नि:शुल्क इम्प्लांट के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारियों का सहयोग मिला। 8 जनवरी 2018 को मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के तहत आवश्यक अनुमति और बजट स्वीकृति मिलने के बाद यह सर्जरी शुरू हुई। यह सर्जरी 6 साल तक के श्रवण बाधित बच्चों की होती है जो बाद में सामान्य बच्चों की तरह सुन सकते हैं। इन बच्चों को स्पीच थैरेपी भी कराई जाती है।
क्या है इम्प्लांट सर्जरी-
इस सर्जरी में श्रवण बाधित बच्चे के कान में ऑपरेशन कर एक यंत्र लगाया जाता है, जोकि श्रवण स्नायु से जुड़ा होता है। यह स्नायु को सक्रिय कर ध्वनि तरंगों को बढ़ाता है, जिससे बच्चा सामान्य की तरह उन्हें सुन सकता है। इस सर्जरी में जन्म से श्रवण बाधित बच्चे भी सुन सकेंगे सामान्य बच्चों की तरह ।

Created On :   3 Feb 2018 2:13 PM IST