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पहली पत्नी ने माँगी गुजर-बसर की रकम, डॉक्टर बन गए कम्पाउंडर!

डिजिटल डेस्क जबलपुर । पहली पत्नी की ओर से लगाए गए गुजारा भत्ता के परिवाद में अदालत की सख्ती से बचने के लिए पेशे से डॉक्टर पति ने खुद को कम्पाउंडर बता दिया। न्यायिक प्रक्रिया के दौरान कोर्ट ने इस झूठ को पकड़ लिया और आदेश दिए कि पत्नी तथा बेटे को हर महीने भरण-पोषण की रकम प्रदान की जाए। फैमिली कोर्ट की प्रधान न्यायाधीश अनुराधा शुक्ला ने केस लडऩे में लगी रकम भी अदा करने के निर्देश दिए हैं।
सहमति ये हुआ था तलाक
मामले के अनुसार बिलहरी निवासी अंजू बावरिया का विवाह वर्ष 1995 में गोरखपुर निवासी डॉ. ऋषि बावरिया के साथ हुआ। कुछ वर्षों बाद दूसरा बच्चा होने के साथ ही दोनों में झगड़े होने शुरू हो गए। महिला का आरोप है कि बात-बात पर उसके साथ विवाद कर मारपीट की जाने लगी। कुछ समय बाद आरोपी पति ने घर आना बंद कर दिया और कहीं और रहने लगा। कुछ समय बाद ही दोनों में सहमति से तलाक भी हो गया। इधर महिला और उसके बच्चों के सामने गुजर-बसर के लिए आर्थिक संकट खड़ा हो गया। आखिरकार महिला ने भरण-पोषण के लिए प्रकरण कोर्ट में दाखिल किया। तमाम साक्ष्यों पर गौर करने के बाद अदालत ने फैसला दिया कि अनावेदक पति हर महीने पत्नी के लिए 5 हजार और अवयस्क पुत्र के लिए 3 हजार रुपए की भरण-पोषण राशि अदा करे। कोर्ट ने वाद व्यय के रूप में दो हजार रुपए का अतिरिक्त भुगतान करने के भी आदेश दिए हैं। प्रकरण में महिला पक्षकार की ओर से अधिवक्ता संदेश दीक्षित ने पैरवी की।
Created On :   24 Dec 2019 6:26 PM IST