बिड़ला मंदिर में भक्त चढ़ा सकेंगे फूल, जैविक खाद बनाने में होगा इस्तेमाल

Flowers devote in the birla temple will be made compost
बिड़ला मंदिर में भक्त चढ़ा सकेंगे फूल, जैविक खाद बनाने में होगा इस्तेमाल
बिड़ला मंदिर में भक्त चढ़ा सकेंगे फूल, जैविक खाद बनाने में होगा इस्तेमाल

डिजिटल डेस्क,भोपाल। राजधानी भोपाल में बीते पांच दशकों से आस्था के केंद्र लक्ष्मीनारायण मंदिर में अब श्रद्धालु मंदिर के गर्भगृह में फूल अर्पित कर सकेंगे। श्रद्धालुओं की मांग पर मंदिर प्रशासन ने ये निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि चढ़ाए गए फूलों से जैविक खाद बनाई जा सके इसके लिए कोशिश की जाएगी।

गौरतलब है कि लक्ष्मीनारायण मंदिर की व्यवस्थाओं के निरीक्षण के लिए जयपुर से राजधानी पहुंचे बिड़ला मंदिर ट्रस्ट के संचालक एमडी वीरानी ने बताया कि देश के अन्य मंदिरों की तरह भोपाल के लक्ष्मीनारायण मंदिर में श्रद्धालुओं को मूर्तियों पर सीधे पुष्प चढ़ाने की अनुमति नहीं थी, प्रतिदिन आरती के समय  पुजारी फूल अर्पित करते थे। ट्रस्ट के संज्ञान में आया था कि यहां बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालु अपने साथ पुष्प लाते हैं, लेकिन वे मंदिर के मुख्य परिसर के बाहर स्थित हनुमान मंदिर सहित एक अन्य मंदिर के सामने ही फूल चढ़ा पाते थे। इस दौरान कई श्रद्धालु इस बात को लेकर आहत भी होते थे। इस मामले में मंदिर ट्रस्ट से मिली सहमति के बाद अब श्रद्धालुओं के अनुरोध पर फूल और मालाएं मंदिर में स्थित भव्य लक्ष्मीनारायण की मूर्तियों के चरणों से अर्पित किए जा सकेंगे। उन्होंने बताया चढ़ाए गए फूलों से जैविक खाद बनाया जा सके इसके लिए नगर निगम के सहयोग से यहां पुष्प संग्रहण पात्र भी रखवाए गए हैं। मंदिर प्रबंधन अब इस बात के भी प्रयास कर रहा है कि जल्द ही यहां अन्य धार्मिक गतिविधियां भी शुरु की जा सके। इसके अलावा दान राशि से मंदिर की सुरक्षा सहित अन्य व्यवस्थाओं को भी सुचारू रूप से संचालित किया जाए।

ऐसे स्थापित हुआ था मंदिर
मंदिर का शिलान्यास वर्ष 1960 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ कैलाशनाथ काटजू ने किया था।अरेरा पहाड़ी पर स्थापित बिड़ला मंदिर में श्रीहरि विष्णु एवं लक्ष्मीजी की मनोहारी प्रतिमाएं भक्तों के आकर्षण का केंद्र हैं। करीब 7-8 एकड़ पहाड़ी क्षेत्र में फैले इस मंदिर की ख्याति देश व प्रदेश के विभिन्न शहरों में फैली हुई है। मंदिर की स्थापना के समय पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश नाथ ने बिड़ला परिवार को शहर में उद्योग स्थापित करने के लिए जमीन देने के साथ ही यह शर्त भी रखी थी कि वह इस दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र में एक भव्य तथा विशाल मंदिर का निर्माण करवाएं। इसके बाद यह भव्य मंदिर निर्मित हुआ था।

Created On :   3 Sept 2017 7:51 AM IST

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