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कोरोना संकट पर ही ध्यान, उष्माघात का मंडरा रहा खतरा

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उष्माघात से बचने के लिए ग्रामीण क्षेत्र में अब तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कोल्ड वार्ड नहीं बनाए गए हैं, जबकि मई का एक सप्ताह खत्म हो चुका है। कोरोना संकट पर ध्यान केंद्रित होने के कारण प्रशासन का ध्यान इस ओर नहीं है। स्वास्थ्य विभाग से लेकर अन्य सभी विभागों का सरकारी अमला सिर्फ कोरोना की रोकथाम के लिए डटा हुआ है।
कहां करेंगे उपचार
पारा 44 डिग्री को छू चुका है। किसान खरीफ फसल की तैयारी में जुट गया है। कड़ी धूप में काम करने पर कई बार उष्माघात की शिकायत होती है। इसके मरीज का कोल्ड वार्ड में उपचार किया जाता है। यदि कोई उष्माघात से पीड़ित होता है, तो उसे कहां भर्ती करेंगे और मौत होने पर किसकी जवाबदेही होगी। यह सवाल बना हुआ है।
पूरी उर्जा कोरोना पर खर्च
धूप से उष्माघात का खतरा बढ़ता जा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में उष्माघात के मरीजों के लिए 2 बेड रिजर्व रखे जाते हैं। उनके लिए स्पेशल कूलर, डंठे पानी की व्यवस्था, औषधि उपलब्ध कराई जाती है, लेकिन इस वर्ष पूरी ऊर्जा कोरोना की रोकथाम पर खर्च की जा रही है। उष्माघात की स्वास्थ्य विभाग को याद तक नहीं है।
जल्द अस्पतालों को सूचित किया जाएगा
अन्य उपक्रमों से ध्यान हटाकर कोरोना पर पूरा ध्यान केंद्रित है। इस संबंध में सरकार के निर्देश भी हैं, इसलिए ग्रामीण क्षेत्र में चलाए जाने वाले अन्य उपक्रम पूरी तरह ठप हैं। कोल्ड वार्ड बनाने के संबंध में जल्द ही ग्रामीण अस्पतालों को सूचित किया जाएगा।
डॉ. दीपक शेलोकर, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, जिला परिषद
Created On :   9 May 2020 4:41 PM IST