कभी किराना दुकान में तौलते थे अनाज, तीसरी बार बने उत्तर प्रदेश में मंत्री

Food grains were once weighed in the grocery store, became minister in Uttar Pradesh for the third time
कभी किराना दुकान में तौलते थे अनाज, तीसरी बार बने उत्तर प्रदेश में मंत्री
नागपुर कनेक्शन कभी किराना दुकान में तौलते थे अनाज, तीसरी बार बने उत्तर प्रदेश में मंत्री

डिजिटल डेस्क, नागपुर। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व की सरकार में मंत्री बने नंद गोपाल गुप्ता उर्फ नंदी को उत्तरप्रदेश में तीसरी बार मंत्री बनने का मौका मिला है। खास बात यह है कि उनका राजनीतिक ही नहीं, व्यक्तिगत जीवन भी संघर्ष भरा रहा है। उनका जुड़ाव नागपुर से रहा है। एक समय था जब नंदी नागपुर में अनाज दुकान में वजन मापन का काम किया करते थे। मामूली दिहाड़ी पर काम करनेवाले श्रमिक कर्मचारी के समान वे अनाज की बोरियों का हिसाब लेने का काम करते थे। साइकिल से कई किलोमीटर तक घूमकर अनाज ग्राहकों को खरीदी का बिल दिया करते थे। लेकिन कुछ वर्षों में ही उन्होंने व्यावसायिक व राजनीतिक क्षेत्र में काफी तरक्की कर ली। 

फील्ड वर्क में रुचि : नंदी के मित्र बताते हैं कि वे पहले से ही फील्ड वर्क में अधिक रुचि रखते थे। कार्यालय में बैठने के बजाय अनाज ग्राहकों से उनका सीधा जुड़ाव था। राजनीति में भी वे लोगों से जुड़े रहते हैं। नंदी मूलत: उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद क्षेत्र के हैं। नागपुर के टेलीफोन एक्सचेंज चौक परिसर में अनाज व सीमेंट के व्यवसायी लक्ष्मीकांत गुप्ता उनके चाचा हैं। उनके अन्य रिश्तेदार अब भी नागपुर के विविध व्यवसायों से जुड़े हैं। उनके मित्रों में संजय खुले, अतुल चोटाई, राजेश छाबरानी, गिरधर जडिया, प्रदीप पंजवारी शामिल हैं। ये मित्र स्कूल कालेज के सहपाठी हैं। मित्रगण बताते हैं कि अनाज कारोबार की बारीकियां जानने के बाद नंदी करीब दो दशक पहले इलाहाबाद लौट गए। वहां परिवार के साथ अनाज कारोबार में व्यस्त हो गए। 

विवाद ने बढ़वाया राजनीति में कदम : मित्रगण बताते हैं कि नंदी का कुछ लोगों के साथ विवाद हुआ था। उन्होंने महसूस किया कि व्यापारियों को कुछ लोग अकारण ही दबाने व डराने लगते हैं। लिहाज नंदी के कदम राजनीति में बढ़ते गए। नागपुर से इलाहाबाद लौटन के 5 वर्ष बाद ही नंदी ने अनाज कारोबार में काफी तरक्की कर ली। इलाहाबाद में दाल मिल शुरू की। एक बार उनका विवाद विजय मिश्रा नामक अपराधी से हुआ। मिश्रा को उत्तरप्रदेश के चर्चित नेता अतीक अहमद का करीबी माना जाता था। नंदी की मिल में तोड़फोड़ की गई थी, उन्हें बम से उड़ाने का प्रयास भी हुआ था। घर लौटते समय उन पर हमला हुआ था। दो सुरक्षा कर्मचारियों की मौत हो गई। उस हमले में नंदी के हाथ की दो उंगलियां टूट गईं। नंदी ने विजय की पिटाई की थी। उस दौरान नंदी के समर्थन में व्यापारियों ने प्रदर्शनकारी भूमिका अपनाई थी। उस घटना के बाद वह राजनीतिक तौर पर भी चर्चा में आ गए।

बसपा नेता की पहचान : जल्द ही नंदी की पहचान बसपा के प्रभावशाली नेता के तौर पर बनने लगी। 2007 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर केशरीनाथ त्रिपाठी को पराजित किया। त्रिपाठी बाद में राज्यपाल भी बने थे। मायावती के नेतृत्व में बसपा की सरकार बनी तो नंदी को राजस्व मंत्री बनाया गया। उसके बाद उन्हें राजनीतिक मामले में पीछे मुड़कर नहीं देखा। पहली बार मंत्री बनने के बाद नागपुर आगमन पर उनके स्वागत में रैली निकली थी। नंदी ब्रांड का नमक, गेहंू, आटा, चावल निर्यात भी किया जाता है। उनके परिवार में पत्नी अभिलाषा पुत्र व पुत्री हैं। अभिलाषा महापौर भी रही है। 2012 में बसपा छोड़ने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हुए। 2014 में कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। पराजित हुए। 2017 में भाजपा में शामिल हुए। चुनाव जीतने के बाद योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में उन्हें शामिल किया गया था। 

Created On :   26 March 2022 6:03 PM IST

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