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वन्यजीव पेंगोलिन के साथ 5 आरोपी गिरफ्तार

डिजिटल डेस्क, बालाघाट/लांजी। वनविभाग की टीम ने अतिसंरक्षित वन्यजीव पेंगोलिन के साथ 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जबकि चार आरोपी फरार है। घटना 19 जनवरी की रात लगभग 10 बजे की है जब वनविभाग की टीम ने वनक्षेत्र के पीपलगांव बीट कक्ष क्रमांक 261 में पेंगोलिन के साथ आरोपियों को गिरफ्तार किया। जिनके पास से जीवित पेंगोलिन और 3 मोटर सायकिल बरामद की गई है।
वनविभाग की मानें तो उन्हें मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ संदिग्ध लोग वनक्षेत्र में घूम रहे है। जिसके बाद उपवनमंडलाधिकारी जे.के. वरकड़े और परिक्षेत्र अधिकारी जे.एन तिवारी के मार्गदर्शन में दो टीम का गठन किया गया। जो मुखबिर की बताई सूचना के आधार पर रात्रि में टीम ने पौसेरा मार्ग से 3 मोटर सायकिल से कुछ लोगों को आते हुए देखा। जिन्हें नाकाबंदी कर रोका गया, जिन पर संदेह होने पर जब पुलिस ने उनके पास रखे सामान की पड़ताल की तो टीम को कमलसिंह की मोटर सायकिल से जीवित पेंगोलिन मिला। जिस पर मोटर सायकिल के सभी लोगों के खिलाफ वन्यप्राणी अधिनियम के तहत मामला कायम कर आरोपी सर्रा निवासी कमल पिता राजाराम मरार, बरगुड़ निवासी 32 वर्षीय महासिंह पिता जंगली बैगा, नरपी निवासी रतनसिंग केहरे गोंड, बरगुड़ निवासी 45 वर्षीय भुलऊ पिता पकरू बैगा और देवरबेली 24 वर्षीय बिरजु पिता सुकलु बैगा को गिरफ्तार किया। जबकि इनके अन्य साथी बरगुड़ निवासी जयपाल, सतोना निवासी दशरथ गोंड, हरदीटोला निवासी सत्तु पिता कारू और बड़गांव निवासी श्रवण मात्रे फरार है। जिनकी वनविभाग की टीम तलाश कर रही है।
अति संरक्षित वन्यप्राणी है पेंगोलिन
वन्यजीव पेंगोलिन अतिसंरक्षित वन्यप्राणी है। जो कि मध्यप्रदेश के कुछ ही जिलो में पाया जाता है। आईयूसीएन ने रेडलिस्ट जारी कर इसे अति दुर्लभ वन्यजीव घोषित किया है। लोगों में अंधविश्वास के चलते तंत्र क्रिया एवं एक्सर्टनल पॉवर की दवाईयों मेंइसकी शल्क का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी शल्कों का उपयोग बुलेट पु्रफ जैकेट बनाने में भी किया जाता है। जिसके चलते अंतर्राष्ट्रीय बाजार मेंइसकी कीमत लाखो में होती है। ग्रामीण भाषा में इस जीवन को खौल्यामांझर या चीटी खोर भी कहा जाता है। जबकि वन्यभाषा में इसे पेंगोलिन और जूलॉजिकल भाषा में इसे मेनिस केलिकाइड कहा जाता है।
इसके पूर्व हो चुकी है पेंगोलिन की तस्करी
लांजी क्षेत्र में ही 29 सितंबर 2014 को पेंगोलिन की 4 किलो 4 ग्राम शल्क के साथ आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। जिनसे पूछताछ में इसकी तस्करी से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय कनेक्शन का पता एसटीएफ और वनविभाग की जांच टीम में हुआ था। जिसमें अन्य आरोपियों के साथ ही बर्मा म्यांमार की एक महिला सहित 24 आरोपियों को एसटीएफ की मदद से लांजी क्षेत्र की वनविभाग की टीम ने गिरफ्तार किया था। जिस प्रकरण में अब भी आरोपियों की गिरफ्तारी होनी बाकी है।
एसटीएफ करेगी जांच
वनविभाग के अधिकारियों की मानें तो जीवित अतिसंरक्षित, दुर्लभ वन्यप्राणी पेंगोलिन के साथ पकड़ाये गये आरोपियों को माननीय न्यायालय से रिमांड पर लेकर पूछताछ की जायेगी। इसके साथ ही पुराने और इस मामले को जोड़कर एसटीएफ की टीम द्वारा मामले की जांच की जायेगी।
आरोपियों को पकड़ने में इनकी रही भूमिका
जीवित अतिसंरक्षित, दुर्लभ वन्यप्राणी पेंगोलिन के साथ पांच आरोपियों को गिरफ्तार करने में परिक्षेत्र सहायक रविन्द्र कुमार सोनवाने, वनपाल नीलकंठ चौरे, मयूर शांडिल्य, संजय दुरूगकर, तरूण चौचरिया, प्रकाश भलावी, बुद्धवर्धन उके, अमरनाथ नंदा, वनरक्षक इंदिरा गर्ग, सालिकराम भंडारकर, कृष्ण अवतारसिंह तोमर और चालक सुरेश कुमार की सराहनीय भूमिका रही।

Created On :   20 Jan 2018 11:24 PM IST