सिंचाई घोटाला : हाईकोर्ट ने कहा- एसीबी चार सप्ताह में अजित पवार की भूमिका स्पष्ट करे

Former Deputy CM Ajit Pawar surrounded in irrigation scam
सिंचाई घोटाला : हाईकोर्ट ने कहा- एसीबी चार सप्ताह में अजित पवार की भूमिका स्पष्ट करे
सिंचाई घोटाला : हाईकोर्ट ने कहा- एसीबी चार सप्ताह में अजित पवार की भूमिका स्पष्ट करे

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  विदर्भ के बहुचर्चित सिंचाई घोटाले में घिरे पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार की क्या भूमिका है, हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार प्रतिरोधक विभाग (एसीबी) को चार सप्ताह में यह स्पष्ट करने का आदेश दिया है। बता दें कि एसीबी बीते कई वर्षों से जारी सिंचाई घोटाले की जांच में अजित पवार की भूमिका स्पष्ट करने से बच रही है। हाईकोर्ट के पिछले आदेश के मुताबिक जब एसीबी ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दायर कर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की, तो उसमें अजित पवार पर कोई भी ठोस जानकारी नहीं दी गई। एसीबी के अनुसार, जांच अधिकारी ने प्रधान सचिव को 1 मार्च-2018 को पत्र लिखकर रिपोर्ट मांगी है कि पवार का कॉन्ट्रैक्ट देने की प्रक्रिया में दखल था या नहीं?  यह रिपोर्ट जांच अधिकारी को मिल चुकी है और इसका अध्ययन अभी जारी है। याचिकाकर्ता अतुल जगताप के अधिवक्ता श्रीधर पुरोहित ने  एसीबी के इस रवैये का विरोध किया। कोर्ट में दलील दी कि पवार पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। वहीं इस मामले में कोई अतिरिक्त एफआईआर भी दायर नहीं की जा रही है। 

चुनिंदा मामलों में बना रहे आरोपी, खुली जांच भी लटका रहे
याचिकाकर्ता के अनुसार जिगांव, लोअर पेढ़ी, रायगढ़ और वाघाड़ी प्रकल्पों का निर्माणकार्य करने वाले बाजोरिया कंस्ट्रक्शन के रमेशचंद्र बाजोरिया और संदीप बाजोरिया को केवल दो मामलों में आरोपी बनाया गया, जबकि उन्हें चारों मामलों में आरोपी बनाया जाना चाहिए था। इस मामले में याचिकाकर्ता जनमंच के अधिवक्ता फिरदौस मिर्जा ने कोर्ट में दलील दी कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों के मुताबिक 7 दिन मंे खुली जांच पूरी कर आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए, मगर सिंचाई प्रकल्पों की खुली जांच कई-कई महीने लंबित रहती है और दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती। हाईकोर्ट ने एसीबी और राज्य सरकार से इस मामले में शपथ-पत्र प्रस्तुत करने को कहा है। 

यहां तक पहुंची जांच 
एसीबी के शपथ-पत्र के अनुसार, अमरावती विभाग के सिंचाई प्रकल्पों के भ्रष्टाचार की खुली जांच की जा रही है। जिगांव प्रकल्प में 3 नवंबर-2017 को अपराध दर्ज कराया गया था। लोअर पैनगंगा मामले की जांच में कुछ अनियमितता नही मिलने से जांच बंद कर दी गई है। लोअर पेढ़ी प्रकल्प के भ्रष्टाचार में अपराध दर्ज कराया गया है। अमरावती विभाग की एसआईटी के तहत कुल 24 प्रकल्पों की जांच शुरू है। नागपुर विभाग में दर्ज अपराधों में 5 मामलों में चार्जशीट विशेष न्यायालय में दायर की जा चुकी है। 9 दोषारोपण याचिका दायर करने की अनुमति सरकार से मिलना बाकी है। 

यह है मामला
याचिकाकर्ता का आरोप है  कि पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार से नजदीकियों के चलते बाजोरिया कंस्ट्रक्शन कंपनी को सिंचाई प्रकल्पों के कांट्रैक्ट मिले हैं। दावा है कि कांट्रैक्ट हथियाने के लिए कंपनी ने फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। मामले में पूर्व में एसीबी ने कोर्ट में  स्पष्ट किया था कि संदीप बाजोरिया की कंस्ट्रक्शंस कंपनी के पास जिगांव प्रकल्प के काम का ठेका प्राप्त करने के लिए जरूरी पात्रता नहीं थी, इसके बाद भी निरीक्षण समिति ने उसे पात्र करार दिया। दूसरी तरफ, कंपनी डायरेक्टर सुमित बाजोरिया ने सरकारी अधिकारियों की मदद से अवैध तरीके से अनुभव प्रमाण-पत्र बनवाया। ऐसे में एसीबी ने बाजोरिया समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
 

Created On :   18 Oct 2018 11:49 AM GMT

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