चार गांवों का गंदा पानी छोड़ा जा रहा कोलार नदी में ,सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट जरूरी

Four villages have dirty water being discharged in Kolar river, sewage treatment plant necessary
चार गांवों का गंदा पानी छोड़ा जा रहा कोलार नदी में ,सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट जरूरी
चार गांवों का गंदा पानी छोड़ा जा रहा कोलार नदी में ,सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट जरूरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सावनेर तहसील के 4 गांवों का गंदा पानी बिना प्रक्रिया किए कोलार नदी में छोड़ा जा रहा है। यह गंदा पानी पर्यावरण के लिए यह खतरनाक है। जीवन प्राधिकरण ने जिला परिषद से तत्काल सिवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की सिफारिश की। प्रारूप तैयार कर प्रदूषण नियंत्रण मंडल को भेज दिया गया है। इस प्रस्ताव पर प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने 56 लाख रुपए का अनुदान देने हाथ खड़े कर दिए। इसी के साथ सवा करोड़ रुपए ब्याज पर देने की पेशकश की है। जिला परिषद की आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है। एसटीपी प्लांट नहीं लगाने पर प्रदूषण नियंत्रण मंडल की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। इस दोहरे पेंच में जिला परिषद फंस गई है।

कार्रवाई की लटकी तलवार : नदी जोड़ प्रकल्प तथा नदियों का पानी प्रदूषण मुक्त करने के लिए हरित प्राधिकरण और जलशक्ति मंत्रालय ने कमर कसी है। इसी की कड़ी में कोलार नदी के प्रदूषण का मुद्दा सामने आया है। गंदे पानी पर प्रक्रिया कर नदी में छोड़ने अन्यथा हर महीने 5 से 10 लाख रुपए जुर्माना भरने के लिए तैयार रहने की जिला परिषद को चेतावनी दी गई है। एसटीपी लगाने का जिला परिषद ने भेजा प्रस्ताव भी प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने ठुकरा दिया है। एसटीपी प्लांट के लिए निधि का अभाव और नहीं लगाने पर कार्रवाई का संकट मंडरा रहा है। इस संकट से बचने के लिए बीच का रास्ता निकालने की जिला परिषद के सामने बड़ी चुनौती है।

जमीन का मसला हल हुआ, धन जुटाने की समस्या : सावनेर तहसील से कोलार नदी बहती है। तहसील के चिचोली, खापरखेड़ा, पोटा और चनकापुर गांवों का घनकचरा और गंदा पानी कोलार नदी में छोड़ा जाता है। गंदा पानी बिना प्रक्रिया किए नदी में छोड़ा जाने से नदी प्रदूषित हो गई है। इस समस्या का हल निकालने जीवन प्राधिकरण ने जिला परिषद को गंदे पानी पर प्रक्रिया करने के बाद नदी में छोड़ने का सूचित किया। पानी पर प्रक्रिया करने के लिए जमीन की समस्या थी। इस समस्या का जिलाधिकारी कार्यालय ने हल निकाल दिया। वन व राजस्व विभाग की 0.99 हेक्टेयर जमीन एसटीपी प्लांट के लिए मंजूर की गई। 1 जनवरी 2020 को प्लांट के लिए जमीन को मंजूरी दी गई। 

समस्या का हल निकाला जाएगा : प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने कोलार नदी में पानी छोड़ने से पहले प्रक्रिया करने की शर्त रखी है। निधि उपलब्ध कराने के लिए उचित रास्ता तलाश कर समस्या का निवारण किया जाएगा। -डॉ. कमलकिशोर फुटाने, एडिशनल सीईओ, जिला परिषद

Created On :   1 Feb 2021 3:34 PM IST

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