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कचरे से खाद बनाकर समस्या से मुक्ति पाने की कवायद
डिजिटल डेस्क, नागपुर। वाड़ी शहर में डंपिंग यार्ड की योजना नहीं होने से कचरा सड़कों पर ही नजर आता है। नप ने डंपिंग यार्ड के लिए प्रस्ताव दिया भी तो जगह नहीं मिल पाने से कोई फायदा नहीं हुआ। अंतत: नगर परिषद ने एक खास निर्णय लिया और यह निर्णय शहर के लिए नजीर बन सकता है। कचरे से सिंदुर खाद (गांडूल खत) बनाया जाने लगा है। स्वच्छ भारत निर्माण में देश में 50वें स्थान पर शहर को लाने के लिए नगर परिषद के अधिकारी कर्मचारी लगे हैं।
हर दिन में 15 टन निकलता है कचरा
वाड़ी शहर से हर दिन 15 टन कचरा निकलता है। 45 लाख रुपए की लागत से कचरा प्रक्रिया यंत्र लगाकर कचरे से खाद निर्माण करने का निर्णय वाडी नगर परिषद ने लिया।
स्वच्छता के लिए मिले डेढ़ करोड़
स्वच्छ भारत निर्माण के तहत वाड़ी नप को डेढ़ करोड़ रुपए मिले हैं। अब तक 70 लाख खर्च हो चुका है। कचरे को ठिकाने लगाने के लिए घंटा गाड़ियों को खरीदा गया है।
मशीनें लगाई जाएंगी
कचरे से विविध वस्तुएं निर्माण करने के लिए बेलिंग मशीने लगाईं जाएंगी। इस प्रोजेक्ट के तहत कचरे पर प्रक्रिया की जाएगी। कचरे को 30 से 45 दिन तक सड़ाकर आगे की प्रक्रिया की जाने की जानकारी बल्लारशाह के राजू भगत ने दी। उन्होंने बताया कि 3 साल के लिए यह ठेका लिया गया।
खाद व कीटनाशक दवाई की होगी निर्मिति
गीला और सूखे कचरे से खाद बनाने के दौरान वेस्टेज मटेरियल को फिर से किस तरह उपयोग में लाया जा सकता है, इसके लिए सैंपल को जांच के लिए भेजा गया है। प्रमाणित होने पर प्रचार-प्रसार के लिए नागरिको को खाद की थैलियां दी जाएंगी। वेस्टेज मटेरियल का उपयोग सड़क के गड्ढों को भरने के लिए भी करने पर विचार किया जा रहा है। कीटनाशक दवा निर्माण के लिए भी परखा जा रहा है।
योजना की खास चार बातें
1. किसानों को अच्छा और सस्ता खात खेती के लिए मिलेगा।
2. प्लास्टिक प्रदूषण को रोका जा सकेगा। शहर स्वच्छ रहेगा।
3. प्लास्टिक के प्रोडक्टस् से नगर परिषद को आय प्राप्त होगी।
4. ऑयल का उपयोग जेनरेटर में होगा, बिजली बचत होगा।
Created On :   8 Feb 2019 7:00 AM GMT