सभी के लिए प्रेरणा बनी बेटियों की मित्रता, क्योंकि इन्होंने सेवा को बनाया स्वभाव

Friendship of daughters became an inspiration for all, because they made service the nature
सभी के लिए प्रेरणा बनी बेटियों की मित्रता, क्योंकि इन्होंने सेवा को बनाया स्वभाव
मध्य प्रदेश सभी के लिए प्रेरणा बनी बेटियों की मित्रता, क्योंकि इन्होंने सेवा को बनाया स्वभाव

डिजिटल डेस्क, छिंदवाड़ा। राजमाता सिंधिया शासकीय कन्या महाविद्यालय में छात्राओं का एक ऐसा ग्रुप है, जो दूसरों के लिए प्रेरणा बनी हैं। कॉलेज की वर्तमान एवं पूर्व छात्राओं के इस ग्रुप की सदस्यों ने सेवा को अपना स्वभाव बनाते हुए अब तक कई सहपाठियों की मदद की है। लगभग दस वर्ष पूर्व इस ग्रुप को बनाने वाली छात्राएं अब कॉलेज से निकलकर विभिन्न क्षेत्रों में अपना करियर बना चुकी हैं और देश के विभिन्न क्षेत्रों में पदस्थ हैं। वर्तमान में कोई पुलिस व सीआरपीएफ में तो किसी ने शिक्षा विभाग या डाक विभाग में अपना कैरियर बनाया है। समाजसेवा के क्षेत्र में भी इस ग्रुप की सदस्यों ने अपनी पहचान बनाई है। कॉलेज छोडऩे के बाद भी यह छात्राएं इस ग्रुप का हिस्सा बनी हुई हैं। वहीं बड़ी संख्या में कॉलेज की वर्तमान छात्राएं भी इस ग्रुप से जुड़ी हैं।
 

ऐसे हुई थी ग्रुप की शुरुआत

गर्ल्स कॉलेज की पूर्व छात्रा रेशमा खान बताती हैं कि वर्ष २०१२ में कॉलेज की छात्राओं के साथ मिलकर ग्रुप सेवा बने स्वभाव बनाया था। उस समय हमारी क्लास की कुछ छात्राओं को आर्थिक परेशानी के कारण कॉलेज की फीस भरने में समस्या आ रही थी। उस समय हम कुछ छात्राओं ने आपस में राशि जुटाकर अपनी सहपाठियों को फीस जमा करने में मदद की। इसके बाद दूसरी कक्षाओं की छात्राओं को भी ऐसे ही परेशान देखा तो छोटा सा बॉक्स बनाया और कॉलेज में प्राध्यापकों एवं छात्राओं से राशि जुटाकर इन छात्राओं की मदद की।

रेशमा बताती हैं कि शुरुआत में उनके साथ शिखा विश्वकर्मा, पूजा यादव, नीतू भलावी, हरियाली साहू, मंजू, विनीता नेटी, कंचन पाटिल, कल्पना पहाड़े, रानू सोनी, पीहू मेराज, फातमा आफरीन कुरैशी, रितु आदि ने ग्रुप की शुरुआत की थी। बाद में इसमें और भी छात्राएं जुड़ती गईं। वर्तमान में इस ग्रुप में सौ से भी अधिक वर्तमान एवं पूर्व छात्राएं शामिल हैं। इसमें कॉलेज की उमा पंड्या, बिंदिया गोस्वामी सहित अन्य प्राध्यापकों ने  बहुत मदद की एवं छात्राओं को प्रोत्साहित किया।

ऐसे की मदद

ग्रुप की सदस्य बताती हैं कि आपस में राशि जुटाकर छात्राओं की फीस जमा करने में मदद की। कॉलेज में ड्रेस कोड लागू हुआ तो कई छात्राओं को यूनिफार्म खरीदने में मदद की। कुछ छात्राएं बहुत दूर से कॉलेज पैदल आती थीं, उन्हें साइकिल दिलाई। ग्रुप में इस बात का ध्यान दिया जाता था कि जिस की मदद कर रहे हैं उसकी पहचान उजागर ना हो ताकि लोगों के सामने वे शर्मिंदा महसूस न करें।

Created On :   6 Aug 2022 8:38 PM IST

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