मित्रता कृष्ण सुदामा जैसी होनी चाहिए: कथा व्यास

डिजिटल डेस्क पवई नि.प्र.। पवई के ग्राम हथकुरी के हनुमान मंदिर प्रांगण में गर्ग परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत सप्ताह यज्ञ के अन्तिम दिवस सोमवार की कथा में कथा व्यास सभापति शुक्ल द्वारा भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा का मार्मिक व मनोहारी वर्णन करते हुए बताया कि कृष्ण और सुदामा की मित्रता संदीपनी आश्रम में हुई थी। भगवान कृष्ण एक राज परिवार से थे वही सुदामा एक गरीब ब्राह्मण परिवार से थे। शिक्षा समापन पश्चात श्री कृष्ण द्वारिकाधीश बन गए और सुदामा प्रतिदिन भिक्षा मांग कर अपने मित्र और प्रभु की भक्ति करते हुए जीवन यापन करते हुए एक बार सुदामा की पत्नी सुशीला ने उनसे उनके मित्र के बारे में पूछा और उनसे मिलने जाने की बात कही तब सुदामा जी ने कहा कि उनका मित्र एक राजा है वह खाली हाथ अपने मित्र से मिलने कैसे जाएं इसके साथ ही जब मेरे जैसे गरीब उनका मित्र है तो उनकी प्रतिष्ठा कम होगी। जब सुदामा भगवान से मिलने द्वारिका पहुंचे तो द्वारपालों ने उन्हें गरीब ब्राह्मण समझकर उनसे मिलने नहीं दिया तब सुदामा ने द्वारपालों से कहा कि उनका नाम सुदामा है और श्री कृष्ण के मित्र हैं उनसे जाकर के बता दो उनका मित्र उनसे मिलना चाहता है जब द्वारपाल ने भगवान कृष्ण से जाकर कहा कि कोई सुदामा नाम के ब्राह्मण आप से मिलना चाहते हैं तो भगवान कृष्ण, सुदामा का नाम सुनते ही नंगे पैर दौड़ते हुए आए और सुदामा को अपने गले से लगा लिया। इसके बाद उनकी स्थिति देखकर अपने आंखों के जल से श्री सुदामा के पैरों को धोया। ऐसी मित्रता की कथा सुनकर कथा पंडाल में मौजूद सभी श्रोताओं की आंखों से प्रेम रूपी आंसू बहने लगे। इसके साथ ही कथा व्यास द्वारा राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा का भी श्रवण श्रोताओं को कराया। श्रीमद् भागवत कथा के मुख्य श्रोता पंडित हरिओम गर्ग एवं श्रीमती प्रभा गर्ग हैं। कथा आयोजन में विजय कुमार गर्ग, गोपाल शंकर गर्ग, सेवानुरागी जीतेन्द्र, धीरेन्द्र, धर्मेन्द्र, वीरेंद्रए धनंजय सहित गर्ग परिवार सेवा में लगे हैं।
Created On :   14 Feb 2023 1:39 PM IST