पाई-पाई के लिए तरसता कामगार, EPFO में पड़ी है 351 करोड़ से ज्यादा की रकम

Fund of over 351 million lying in the EPFO ​​for the last several years
पाई-पाई के लिए तरसता कामगार, EPFO में पड़ी है 351 करोड़ से ज्यादा की रकम
पाई-पाई के लिए तरसता कामगार, EPFO में पड़ी है 351 करोड़ से ज्यादा की रकम

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जो कामगार पाई-पाई के लिए तरसता है, उसकी 351 करोड़ से ज्यादा की निधि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में पिछले कई सालों से पड़ी है। संबंधित कामगार व उनके वारिस को यह राशि मिल सकती है, बशर्ते वह जरूरी प्रक्रिया पूरी कर लें। कर्मचारी के वेतन से जो 12 फीसदी राशि ईपीएफ के नाम पर कटती है, वह EPFO में जमा होती है।

क्षेत्रीय EPFO कार्यालय के तहत नागपुर, वर्धा, चंद्रपुर, गडचिरोली, भंडारा व गोदिया जिला आता है। नागपुर विभाग में करीब 16 हजार कंपनियां व कारखाने हैं और इनमें से आधे से ज्यादा कंपनियां एक्टिव (सक्रिय) नहीं है। EPFO असक्रिय खातों पर तीन साल तक ब्याज देता है। उसके बाद इस राशि को अनक्लेम्ड की श्रेणी में डाल देता है। EPFO नागपुर विभाग के तहत 351 करोड़ से ज्यादा की निधि अनक्लेम्ड है। इस राशि पर क्लेम (दावा) करने अब तक कोई नहीं पहुंच सका है। इनमें से अधिकांश पेंशनर अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उनके वारीश जरूरी प्रक्रिया पूरी कर यह राशि प्राप्त कर सकते है। केवाईसी नहीं होने से EPFO इस राशि को संबंधित कामगार के बैंक खाते में जमा नहीं कर सकते। पहले कामगारों में नियम व अधिकारों के प्रति बहुत ज्यादा सतर्कता नहीं थी। साथ ही छोटी अमाउंट के लिए कौन कागजी प्रक्रिया पूरी करेगा, यह सोचकर भी कामगार जरूरी प्रक्रिया पूरी नहीं करता था।

इतने बड़े पैमाने पर अनक्लेम्ड राशि तैयार होने के पीछ मुख्य वजह अकाउंट नंबर हैं। तीन साल पहले तक कामगारों को पीएफ नंबर मिलते थे। कामगार जितनी कंपनियों में जाएगा, उसके उतने अकाउंट नंबर बनते थे। कामगार को जरूरी प्रक्रिया पूरी कर पुरानी कंपनियों में पड़ी राशि नए अकाउंट में स्थानांतरित करनी पड़ती थी। विशेषकर बाहर से आनेवाले कामगार छह माह एक जगह (कंपनी) काम करने के बाद दूसरी जगह (कंपनी) चले जाते थे। पुरानी राशि उसी जगह रहती थी। कामगार जब तक कंपनी या नियोक्ता से क्लेम फार्म भरकर EPFO में नहीं लाता तब तक राशि नहीं मिलती थी। एक-एक कामगार की 5 हजार से लेकर 50 हजार तक की राशि हैं, और यह जुडकर साड़े तीन सौ करोड़ से ज्यादा हो गई है।

अब सभी कामगारों को युनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) मिला हुआ है। किसी भी कंपनी में कही भी जाने पर नंबर नहीं बदलता। इसलिए पुराना पैसा खुद ही जमा हो जाता है। इसके अलावा अधिकांश एक्टिव खातों का केवाईसी है। ईपीएफआे की तरफ से कंपनी को पासवर्ड मिला होता है। कंपनी इसके जरीए संबंधित कामगार की जानकारी (आधार नंबर, बैंक खाता नंबर व पैन नंबर) आनलाइन दर्ज करती है। कामगार को अब कंपनी के पास जाकर क्लेम फार्म भरने की जरूरत नहीं है। कामगार का पैसा खुद ही उसके बैंक खाते में जमा हो जाता है।

Created On :   12 Oct 2018 1:06 AM IST

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